बस बनी रहे सदाबहार दोस्ती, चीन की हर करतूतों पर अपनी आंखें मूंद रहा पाकिस्तान

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दुनियाभर में कोरोना महामारी के फैलने के बाद चीन पूरी तरह से घिरा हुआ है। इससे ध्यान हटाने के लिए पड़ोसी देश भारत के साथ तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। लद्दाख में कई महीनों से तनाव बढ़ा रहा है। सिर्फ कोरोना, लद्दाख पर ही नहीं, बल्कि चीन शिनजियांग प्रांत में लाखों उइगर मुसलमानों के साथ जिस तरह का व्यवहार कर रहा है, उससे भी दुनिया के निशाने पर आ गया है। लेकिन, चीन की इन करतूतों को देखते हुए भी पाकिस्तान की सरकार अपनी आंखों पर पट्टी बांधे बैठी हुई है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि चीन उसका सदाबहार दोस्त बना रहेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक फायदों के चलते चीन पाकिस्तान का साथ देता है।

‘द नेशनल इंटरेस्ट’ में विलियम श्राइवर द्वारा लिखे ‘व्हाई चाइना हैज पावर टू डिक्टेट पाकिस्तान फ्यूचर’ लेख के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन पर अपनी आलोचना को संतुलित किया है क्योंकि पाकिस्तान को बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए से अरबों डॉलर का निवेश प्राप्त होता है। चीन-पाकिस्तान के रिश्तों को फलते-फूलते रहने के लिए, इमरान खान ने कोरोना वायरस के शुरुआती चरणों को भी चीन और पाकिस्तान दोनों देशों में वास्तविकता से कम आंका था।

इमरान खान ने फरवरी में किए एक ट्वीट में लिखा था कि पाकिस्तान चीन के लोगों और उसकी सरकार के साथ इस मुश्किल घड़ी में खड़ा हुआ है और आने वाले समय में भी खड़ा रहेगा। एक महीने बाद, उन्होंने बयान में कहा, ”कुछ दिनों में सबकुछ ठीक हो जाएगा…यह वायरस एक फ्लू है, जोकि तेजी से फैलता है।”

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श्राइवर ने लेख में उजागर किया है कि कैसे इमरान खान ने पाकिस्तान-चीन के रिश्तों को बचाने और चीनी अधिकारियों को खुश करने के लिए कोविड-19 जैसे घातक वायरस को भी किनारे कर दिया। इसी दौरान, खान ने चीनी सरकार द्वारा शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों पर ढाये जा रहे जुल्मों की भी अनदेखी की और अपनी आंखों को बंद रखना बेहतर समझा। लेखक ने कहा, ”पिछले साल, खान ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के नरसंहार पर ध्यान नहीं दिया, चीन के विवादित हॉन्ग-कॉन्ग सिक्योरिटी बिल का समर्थन किया और अब चीन के कोरोना वायरस पर उसके साथ खड़ा हुआ। इसके पीछे चीन द्वारा पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) में 60 अरब अमेरिकी डॉलर का किया गया निवेश वजह है।

जहां एक ओर, पाकिस्तान भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन का तथाकथित आरोप लगाता रहता है। लेकिन, चीन के मुद्दे पर चुप्पी साध जाता है। इसको लेकर विलियम श्राइवर ने अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद खान से सवाल किया है कि आखिर क्यों पाकिस्तान शिनजियांग में दस लाख की मुस्लिम आबादी पर हो रहे अत्याचारों को दरकिनार कर रहा है? इसके जवाब में राजदूत खान ने कहा, “हम (पाकिस्तान) आमतौर पर अन्य देशों की आंतरिक स्थितियों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, विशेष रूप से हमारे दोस्तों की। कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को उठाना काफी अलग है, क्योंकि चीन हमारे साथ कभी भी उन मुद्दों को नहीं उठाता है। हम इन चीजों के बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं करते, जिनमें चीन के साथ हमारे रिश्तों के बारे में बात की गई हो।”

सदाबहार दोस्ती की उम्मीद में पाकिस्तान चीन का हमेशा साथ देता है। इस पर आर्टिकल में लेखक ने पूछा है कि भारत-पाकिस्तान के आमने-सामने आने की स्थिति में चीन क्या उस तरीके से इस्लामाबाद का साथ देगा, जिस तरीके से भारत-चीन मुद्दे पर अमेरिका ने भारत का दिया है।

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