सरकार की बेरुखी : इकट्ठा किया हुआ बारिश का पानी पीने को मजबूर है ग्रामीण

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पीने के पानी के अभाव में गांव छोड़ने को मजबूर है वमुण्ड ग्राम के निवासी

टिहरी गढ़वाल। किसी भी गाँव या शहर की बदहाल जिंदगी कोआखिर एक दिन निजात मिल जाती है लेकिन उत्तराखण्ड का ये कैसा गांव है जहाँ राज्य स्थापना को बाईस साल बीत गए है और आज भी बरसात का पानी पीकर गांव के लोग जीवन गुजारने को मजबूर है।

पुष्कर सिंह धामी बजट सत्र में उत्तराखण्ड में पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए कई महत्वपुर्ण योजनाओं को विकास से जोड़ने की तैयारियों में जुटे है परन्तु पहाड़ के कई गांव सरकार की विकास योजनाओं से अभी कोसों दूर है या यूं कहिए कि इन गाँव में पछले कई वर्षों से सरकार के किसी भी नुमाइंदे ने जाकर पहाड़ के इन गांव का ना तो कोई मुआयना किया और ना ही कोई खबर आज तक ली। इन्ही गाँव मे एक गांव ऐसा भी है जो सरकार की अनदेखी का शिकार हुए एक अभिशापित जीवन गुजार रहे आज बेबस ग्रामीणों के पास सिवाए पलायन के और कोई रास्ता नही बचा है। ये गांव ग्राम वमुण्ड ग्राम सभा पेराई विकास खण्ड नरेंद्र नगर जिला टिहरी गढ़वाल है। जहां प्राकृतिक जल स्रोत सुख गए है और गांववासी बारिश का पानी इकट्ठा कर उसे पीकर अपना जीवन बसर कर रहे है। बारिश के पानी को पीने से बच्चे व बूढे बीमार पड़ रहे है।ग्राम वमुण्ड ग्रामसभा पेराई विकास खण्ड नरेंद्र नगर टिहरी गढ़वाल के निवासी सतीश भट्ट ने बताया की पीने के पानी को तरस रहे ग्रामीणों को अपना जीवन बेहद दुखद व कष्ट के साथ गुजारना पड़ रहा हैं । जहाँ एक और भीषण गर्मी का प्रकोप और दूसरी और पानी की किल्लत।

उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं का वर्षों से इंतजार करते लोग थक चुके है। इस गाँव की आबादी निरन्तर घट रही है। पानी के अभाव में खेती करना बेहद मुश्किल हो
गया है। और लोग गांव छोड़ने को मज़बूर है।
सतीश भट्ट ने बताया कि पीने के पानी को लेकर सरकार द्वारा जो ट्यूवेल लगाए गया था वो दो साल से खराब पड़े है।
महिलाओं को 10-12 किलोमीटर दूरस्थ पेयजल स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है वे प्राकृतिक स्रोत भी धीरे धीरे सुखने के कगार पर है।

ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी पेयजल समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाये।

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