ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है….

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीएम धामी से की भेंट

 

देहरादून…… ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है….

अच्छे ने अच्छा और बूरे ने बूरा जाना मुझे….

क्योंकि जिसकी जितनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे जिंदगी का फलसफा भी कितना अजीब है…

शामें कटती नहीं और साल गुजरते चले जा रहे हैं।

एक अजीब सी दौड है ये जिंदगी जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं ।।

हरिवंश राय बच्चन की  ये चंद पंक्तियां उस शख्स के जीवन को चरित्रार्थ करती है जो प्रदेश के मशहूर सीएम के रूप में अपने अंदाज व उत्कृष्ट शैली से लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ चुके है।

हरेला व घी सक्रांत जैसे लोक उत्सव को घर की चार दिवारी से निकाल कर देश में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाने का काम उनके ही कार्यकाल में हुआ जब वे उत्तराखंड कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री थे।

सीएम धामी से मिलकर शायद हरीश रावत वक्त के बदलते दौर को महसूस कर अपने अनुभव से सीएम धामी को करा रहे है एहसास.,..