भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों का दीक्षांत समारोह ! देश को मिले 109 भारतीय वन सेवा के अधिकारी

देहरादून। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षणरत 2023 बैच के भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों का दीक्षांत समारोह 30 जुलाई 2025 को दीक्षांत गृह, वन अनुसंधान संस्थान में संपन्न हुआ।  इस अवसर पर  न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम, अध्घ्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मुख्घ्य अतिथि के रूप में शामिल और परिवीक्षार्थियों को प्रमाण पत्र तथा पदक प्रदान किए। यह 21वीं सदी में पासआउट होने वाला सबसे बड़ा बैच है। इस अवसर पर इन्दिरा गाँधी राष्घ्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक डॉ० जगमोहन शर्मा ने निदेशक रिपोर्ट प्रस्घ्तुत की।  उन्घ्होंने कहा कि यह संस्घ्थान पूर्व में इंडियन फॉरेस्घ्ट कॉलेज और अब राष्घ्ट्रीय वन अकादमी के रूप में देश की सेवा कर रहा है।  स्घ्वतंत्र भारत के समस्घ्त भारतीय वन सेवा अधिकारियों और 14 मित्र राष्ट्रों के 367 वन अधिकारियों ने अब तक इस संस्घ्थान से प्रशिक्षण प्राप्घ्त किया है। उन्घ्होंने बताया कि वर्तमान 2023-25 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में 109 भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों तथा भूटान के 02 विदेशी प्रशिक्षुओं सहित कुल 111 प्रशिक्षु अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्घ्त किया है। इनमें 22 महिला आईएफएस प्रशिक्षु अधिकारी हैं। बैच में 50 अधिकारियों ने 75þ से अधिक अंक प्राप्घ्त करते हुए ऑनर्स डिप्घ्लोमा प्राप्घ्त किया। इन अधिकारियों को वानिकी और शासन के विभिन्न पक्षों के विषय में प्रशिक्षित किया गया है जिसमें भिन्न भिन्न संस्थानों तथा एनजीओ के साथ एनजीओ अटैचमेंट की ट्रेनिंग भी शामिल है। 2023 में पाठ्यक्रम के पैटर्न में बदलाव होने के बाद पासआउट होने वाला यह पहला बैच है। उन्होंने पास-आउट होने वाले इन युवा परिवीक्षार्थियों को पूर्ण निष्घ्ठा और समर्पण से कार्य करने तथा वनाश्रित निर्धन लोगों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने की सलाह दी। उत्कृष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाले परिक्षार्थियों को समारोह में विभिन्न पुरस्कार प्रदान किए गए। केरल संवर्ग के श्री मिधुनमोहन एस.बी. बैच के टॉपर रहे। अन्घ्य पुरस्घ्कार एवं पदक विजेताओं की सूची संलग्घ्न है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय न्घ्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अपने दीक्षांत भाषण में प्रशिक्षु अधिकारियों को उनकी सफलता पर बधाई दी और कहा कि भारतीय वन सेवा में प्रशासनिक दायित्घ्वों के साथ-साथ नैतिक एवं सांविधिक प्रतिबद्धताएं निहित हैं। उन्होंने चेताया कि आपको अपने दायित्वों और भूमिकाओं के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि भूमिकाएं समय के साथ बदल जाती हैं। उन्घ्होंने इन नए अधिकारियों को सफलता के मंत्र देते हुए कहा कि वे सदैव नियमों की अनुपालना करें और कभी भी इनके प्रति उदासीन न हों। किसी भी कारण से नियमों को तोड़कर केवल कुछ समय का लाभ प्राप्घ्त हो सकता है किंतु लंबे समय में यह पेनल्घ्टी के रूप में सामने आता है। उन्घ्होंने कहा कि अपने अधीनस्घ्थ कार्मिकों और सहयोगियों के प्रति गलत vyvhasr न करें।  समय बदलने के साथ एक छोटा का गलत कार्य आपके करियर को प्रभावित कर सकता है। और, सदैव सकारात्घ्मक रहें और एक जैसे रहें। आपका व्यवहार आपके प्रति लोगों के नजरिये को प्रभावित करता है। अंत में तैतरीय उपनिषद से “सत्घ्यं वद, धर्मम् चर” का उदाहरण देते हुए उन्घ्होंने सदैव सत्घ्य और नियम के रास्ते पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज एक अधिकारी के रूप में दीक्षांत समारोह में आपको सेंस ऑफ अचीवमेंट का अनुभव हो रहा होगा किंतु अपने सेवाकाल में आपको ऐसे कार्य करने होंगे जिससे सेवानिवृत्ति के समय आप सेंस ऑफ़ फुलफिलमेंट का अनुभव करें। उन्होंने करियर में ईमानदारी, अनुशासन और करुणा का मार्ग अपनाने को कहा। घ्अंत में उन्घ्होंने सभी अधिकारियों और अकादमी को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्घ्ज्घ्वल भविष्घ्य की कामना की।
दीक्षांत समारोह में पीसीसीएफ (एचओएफएफ) उत्तराखंड; महानिदेशक, आईसीएफआरई; निदेशक, एफआरआई, महानिदेशक भारतीय वन सर्वेक्षण; निदेशक, भारतीय वन्घ्यजीव संस्घ्थान; निदेशक, वानिकी शिक्षा निदेशालय; प्रधानाचार्य, केंद्रीय अकादमी राज्घ्य वन सेवा देहरादून; निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्घ्थान देहरादून; निदेशक, आईसीएआर-केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्घ्थान, देहरादून; निदेशक, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्घ्थान, देहरादून; आईजीएनएफए और केंद्रीय अकादमी राज्घ्य वन सेवा देहरादून के संकाय सदस्य एवं स्घ्टाफ, सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारीगण, भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी; केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारी तथा 2023 बैच में पास आउट हुए अधिकारियों के परिजनों सहित बड़ी संख्घ्या में अतिथिगण उपस्थित रहे।