न्यायिक व्यवस्था में जनता का विश्वाश रखें कायम
दिल्ली। जनपेक्षाओ के आधार पर राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वो न्यायिक व्यवस्था में जनता का भरोसा कायम रखें। उनकी जिम्मेदारी है कि भारत की न्यायापालिका से ऐसे लोग दूर रहे जो आपराधिक पृष्टभूमि से आते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर की है। दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि उच्चतम नैतिक आधार रखने वाले न्यायाधीश जनता के विश्वास के निर्माण में आगे तक जाते हैं और एक न्यायिक अधिकारी की साख और पृष्ठभूमि के बारे में आम आदमी की धारणा “महत्वपूर्ण है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि सबसे उपयुक्त व्यक्तियों को न्यायिक अधिकारी के पद पर काबिज होना चाहिए, क्योंकि वे राज्य के सबसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
इस मामले में सिविल जज के पद पर आवेदन करने वाले उम्मीदवार ने यह बात स्वीकार की थी कि उसे कुछ आपराधिक मामलों में फंसाया गया था। राजस्थान उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि सभी मामलों में उम्मीदवार के खिलाफ अपराध गंभीर प्रकृति के थे और दोषमुक्ति साफ नहीं थी। इस प्रकार उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई, जिसके बाद आवेदनकर्ता ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की।