गणेश जी की करें स्थापना पर बीना सोचे विचारे न करे विसर्जन
दूसरो की देखा देखी कर सदियों की प्रथा को मत बदलिए : मूर्ति को स्थापित करे विसर्जित नही
सदियों से गणपति की मूर्ति विसर्जन की प्रथा अब धीरे धीरे महाराष्ट्र से निकल कर देश के कई राज्य में पहुंच चुकी है। अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा देखी कर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन करने लगे है। क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों किया जाता है?
आप को बात दे कि गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नही विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं। क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे। वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही इनके रहने से लालबाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया। तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं। और घर के मालिक को कभी विदा नही करते वहीँ अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो जीवन मे बचा ही क्या। हम बड़े शौक से कहते हैं गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया। तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए भेज दिया।
इसलिए गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करे।
ओम एकदंताय नमो नमः।।