कहीं हम अनजाने मे छोटे उद्योगों व खादी ग्रामोद्योगों को नुकसान तो नही पहुंचा रहे हैं ?

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डॉ. बी आर चौहान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2023 से जूते, चप्पल और सैंडि (फुट बियर) से संबंधित एक नया कानून लागू कर दिया है जिसके अंतर्गत सरकार फुट बियर क्वालिटी पर पूरा ध्यान दे रही है. केवल वही फुट बियर बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे जो तय मानको के मुताबिक बने होंगे.

यह मानक भारतीय मानक संस्थान द्वारा बनाये गये है. सरकार का मानना है कि दूसरे देशों से खराब गुणवता वाले फुट बियर आयात को रोकने के लिये यह कदम उठाये जा रहे है. गुणवता नियंत्रण आदेश के नियमो के अनुसार फुट बियर बनाने में प्रयोग होने वाले चमड़े, पी वी सी, रबड़ जैसे कच्चे माल के अलावा सोल एवम हिल के बारे में भी निर्देश दिये गये हैं.

गुणवता के यह नियम रबड़, गम बूट, पी वी. सी सेंडल, हवाई चप्पल, स्पोर्ट शूज और दंगा रोधी जूते जैसी वस्तुओं पर भी लागू होंगे. इसके लिये भारतीय मानक संस्थान की दो प्रयोगशालाओं, एफ डी डी आई की दो प्रयोगशालाओं, केंद्रीय चमडा अनुसंधान संस्थान और 11 निजी प्रयोगशालाओं मे फुट बियर उत्पादों के परीक्षण के लिये यह व्यवस्था तैयार की गई है.

छोटे उधोगों जिसमें ग्रामीण चमडा उद्योग भी शामिल है के ऊपर जी एस टी , गुणवता संबंधि और अन्य नियमों के द्वारा कहीं हम दुबारा इंस्पेक्टर राज को आमंत्रित
तो नही कर रहे है?

देश में खादी ग्रामोद्योग व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारे वितीय एवम तकनीकी सहायता व अन्य सुविधाएं प्रदान करती हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था को सबल मजबूती देता है.

यदि हम छोटे उद्योगों का ज़िक्र करे तो जी डी पी में इनका योगदान लगभग 30 प्रतिशत, यह क्षेत्र 10 करोड़ से ज्यादा रोजगार देता है. कुल निर्यात का 40 प्रतिशत इस क्षेत्र से होता है. अत:इस क्षेत्र पर नये नये नियम व कानून लागू करना इन्हे बहुत हानि पहुंचा सकता हैं.

हम सभी जानते है की भारत के प्राय: हर गांव मे अत्यंत गरीब लोग चमड़े के छोटे कारोबार से जुड़े हैं और इनमें लगभग शत प्रतिशत लोग मामूली पढ़े लिखे है. वह सरकार के जटिल नियमो का कैसे पालन करेंगे? . यह लोग बहुत सारी औपचारिकताएं कैसे पूरी करेंगे? भारत के शहरों व सुदूर गाँवों मे छोटे चरम उद्योग व के.वी .आई .सी.(KVIC) की कई छोटी व मध्यम दर्जे की इकाइयाँ लगी हुई है. चिंता की बात है कि यदि वह औपचारिकताएं पूरी नही कर पाये तो यूनिटे बंद हो जायेगी और बेरोजगारी बहुत बढ़ जायेगी. चमड़े की बहुत सारी छोटी – छोटी इकाइयाँ आगरा, कानपुर, राजस्थान पंजाब,कोल्हापुर, बंगाल , तमिलनाडु और अन्य प्रदेशों मे स्थित है. ऐसा प्रतीत होता हैं की डब्लू.टी .ओ और आई. एफ. एम. के प्रभाव में आकर ये सब हो रहा है.

सरकार के नियमो का पालन भी अवश्य होना चाहिए. छोटे उधोगों को मजबूत करने के लिए सरकार इन चमड़े की लघु इकाइयों के लिए नियमों को स्थगित रखे या इन्हे शत प्रतिशत अनुदान/सब्सिडी प्रदान करे ताकि पूंजीपतियों, कॉरर्पोरेट घरानो और बहु राष्ट्रीय कंपनियां इन्हे निगल न जाए.

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