बी आर चौहान

दुनिया में तेल का है अजब खेल निराला।

सियासत के नाम पर लोगों को गुराह कर डाला।

मुल्क के आपसी संबंधो का लेकर फायदा, सस्ते तेल के नाम पर फजीहत कर डाला ।

नई दिल्ली। भारत पिछले कुछ समय से रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात कर रहा है। आयात का यह फैसला सरकार ने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए लिया है।
अब सवाल उठता है कि इस आयात से भारत की जनता को कितना लाभ हुआ है? उतर है कि आम जनता को तेल के मामले में कोई राहत नही दी है। फिर किसको लाभ हुआ है ? इस तेल के खेल में भारत के आम आदमी का तो कोई फायदा नही हुआ है लेकिन मुठ्ठीभर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया गया है। रूस हमारा निर्विवादित सहयोगी रहा है लेकिन यहाँ यह कहना अनुचित न होगा कि उसकी मजबूरी का भी हमने फायदा उठाया है।
अप्रैल 2023 मे भारत ने रुस से प्रतिदिन 46 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया है और इसी तरह ” ओपेक् ” देशों से प्रतिदिन 21 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है।
रूस- युक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में भारत की भूमिका बदल गई हैं। अब स्थिति यह है की भारत ने यूरोप को तेल निर्यात के मामले मे सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है. भारत प्रतिदिन साढ़े तीन लाख बैरल से ज्यादा यानि करीब 5.5 करोड़ लीटर तेल यूरोप को निर्यात कर रहा है. जो तेल भारत रूस से खरीद रहा है उसकी अदायगी हम डॉलर के बजाये रुपए में कर रहे है। वैसे यूरोप ने रूस से तेल और अन्य वस्तुओं के आयात- निर्यात पर रोक लगा रखी है । लेकिन वास्तविक रूप में देखा जाये तो यूरोप का गुजारा बिना तेल और गैस के नही हो सकता क्योंकि वह इन वस्तुओं के लिये खाडी देशों और रूस- युक्रेंन पर ही निर्भर रहा है। इसकी वजह से ही भारत फायदे में रहा है और उसे सुनहरा मिल गया है कि वह रूस से पेट्रोल और पेट्रोलियम वस्तुयें आयात कर यूरोप को उपरोक्त प्रोडक्ट निर्यात करे। अमेरिका भी इस पर चुपी लगाये बैठा है क्योंकि वह जानता है कि यूरोप बिना तेल गैस के नही रह सकता।
हाल ही मे रूस के विदेश मंत्री ने कहा था कि हमारे पास भारतीय रुपयों के अंबार लग चुके है और उनके लिए मुश्किल हो गया है की वह इसका क्या करे? आंकड़ो के हिसाब से हमारा निर्यात ज्यादा दिखाई दे रहा है. यदि हम तेल/पेट्रोलियम प्रोडक्ट के निर्यात को छोड़ दे तो हमारा निर्यात बहुत ही कम है और आयात बहुत ज्यादा बढ़ गया है जो देश की अर्थ-व्यवस्था के लिये ठीक नही है।

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