बलजीत कौर के हौसले को सलाम 

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7161 मीटर ऊंची पुमोरी चोटी पर फहराई विजय पताका

देहरादून। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।

इस कथन को चरितार्थ करने वाली ऐसी कई महिलाएं है जिनके शौर्य व पराक्रम से देश का नाम रोशन हुआ है। ऐसी ही महिला खिलाड़ियों में सवार्धिक लोकप्रियता के शिखर पर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाने का गौरव प्राप्त किया है बलजीत कौर ने जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर्वत श्रखंला की सबसे कठीन 7161 मीटर ऊंची पुमोरी चोटी पर विजय पताका फहराकर अपना नाम प्रदेश मे रोशन कर दिया।

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के गाँव पंजडोल के फौजी परिवार में जन्मी बलजीत कौर का रुझान शरू से ही खेलो पर आधारित था। तेनजिंग एडमंड हिलेरी व बझेन्द्री पाल से प्रेरणा लेकर अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने का ख्वाब देखने लगी बलजीत कौर ने कभी सोचा भी ना था की वो जोखिम भरे खेलो में टॉप पॉजिशन लाएगी। सोलन महाविद्यालय से स्नातक करने के बाद बलजीत कौर ने अपने सपने को साकार करने का मन बना लिया।
कहते है कि यदि दिल से किसी की भी कामना करो तो कुदरत भी उनकी मदद करती है। शायद बलजीत कौर की मेहनत व लगन ने उसकी मंजिले आसान कर दी। अपने गुरुजनों के मार्गदर्शन से उसके इरादे मजबत हो गए। इतने जोखिम भरे खेलो को देखकर इसके कदम पीछे कभी नही रुके बल्कि हिम्मत और हौसले के जरिये राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के खेलकूदो में भाग लेकर अलोम्पिक व पेराओलम्पिक से रजत व कांस्य पदक प्राप्त कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

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