आंदोलकारी हित मे सरकार को लेना होगा निर्णय 

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बैठक में झलका आन्दोलनकारियों का दर्द

देहरादून। राज्य निर्माण में अपना जीवन समर्पित करने वाले आंदोलनकारियों को क्या पता था राज्य निर्माण के बाद भी उनकी लड़ाई व्यवस्था को लेकर संघर्ष करना पड़ेगा। कोरोना काल मे आर्थिक रूप से हुए प्रभावित राज्य के आंदोनकरियो ने शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित बैठक में आंदोलनकारी साथियों के साथ अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आंदोनलकरियो के हितों को अनदेखा कर उनको मिलने वाली हर सुविधाओं से वंचित रखा है।

बैठक में सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें सरकार के प्रति राज्य आंदोलनकारी द्वारा भारी रोष व्यक्त किया गया।
वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी मोर्चे के अध्यक्ष विनोद असवाल ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से कई बार वार्ता के लिए समय मांगा परंतु मुख्यमंत्री ने समय नहीं दिया। मुख्यमंत्री से राज्य मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने राज्य आंदोलनकरियो को आश्वासन भी दिया की राज्य आंदोलनकरियो की जायज मांगों पर ध्यान दिया जाएगा व पूरा करने कोशिश की जाएगी परन्तु उत्तराखंड बने 21 वर्ष हो गए हैं इन 21 वर्षों में अभी तक 9 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन किसी ने भी आंदोलनकारी हित मे कोई भी सही निर्णय नही ले पाए बल्कि हर बार गुमराह किया गया जबकि महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है और राज्य आंदोलनकारी 5000 तथा 3100 में अपना गुजारा कर रहे हैं। उत्तराखंड बनने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान आंदोलनकारी उठा रहे हैं आज उनका परिवार इतने कम कम रुपये में नहीं चला पा रहे हैं। पेट्रोल डीजल व गैस के दाम आसमान छू रहे हैं कोरोना काल में जनता के रोजगार खत्म होने के कारण रोजी रोटी की दिक्कतें आई हैं। वही प्राइवेट स्कूलों के बच्चों के अभिभावकों से दोगुनी फीस वसूली जा रही है। सरकार मौन धारण किए हुए हैं। असन्दनकरियो ने बैठक में कहा कि सरकार के आदेशों पर प्राइवेट स्कूल धज्जियां उड़ा जा रहे हैं। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तथा राज्य शिक्षा मंत्री श्री अरविंद पांडे तथा उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। तीन शिक्षा मंत्री होने के बावजूद प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं। आंदोलनकारी मंच ने कहा कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर अभी तक सरकार सही निर्णय नही ले पाई है। इन गम्भीर पहलुओ को देखते हुए मुख्यमन्त्री को आंदोलनकरियो में से अलग अलग संगठनों के अध्यक्ष को लेकर कमेटी बनानी चाहिए जो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगा सके। राज्य आंदोलनकारी भी सरकार के साथ मिलकर राज्य विकास में अपना योगदान देने के लिए तैयार है। राज्य आंदोलनकरियो ने राज्य सरकार से निम्न बिन्दुओ पर मांग की है –
राज्य आंदोलनकरियो को एक समान पैंशन दी जाये।

कोविड-19 के दौरान जिन आंदोलनकरियो की मृत्यु हुई हैउनके आश्रितों को भी राज्य आंदोलनकारी के दायरे में लाया जाए।

राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को 10% क्षैतिज आरक्षण को नए सिरे से विधानसभा में पास किया जाए।

समूह ग की भर्तियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।

राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को उपनल में अलग से रोजगार की व्यवस्था की जाए ।
बैठक में(अध्यक्ष) विनोद असवाल, (उपाध्यक्ष) विपुल नौटियाल , (महासचिव) सुरेश कुमार व बंटी थापा आदि मौजूद रहे।

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