मुन्दोली राइडर्स क्लब द्वारा हरेला उत्सव: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सफल कदम
चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में छोटे से गांव मुन्दोली में स्थित मुन्दोली राइडर्स क्लब ने हरेला उत्सव के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की पहल की। 50 छात्रों और 21 ग्रामीणों के सहयोग से क्लब ने अपने नए ईको एडवेंचर पार्क में 142 पौधे लगाए। यह पहल वन विभाग के सहयोग से की गई और क्लब का उद्देश्य श्रावण माह मैं 3000 पौधो को लगाना हैं, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
उत्तराखंड में हरेला का महत्त्व: श्रावण माह में मनाये जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता तथा समूचे कुमाऊँ में अति महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। जिस कारण इस श्रावण माह में यह त्यौहार अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जैसा कि हम सभी को विदित है कि श्रावण माह भगवान भोले शंकर का प्रिय माह है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कही कही हर-काली के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि श्रावण माह शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण माह में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है। इस दिन सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही पौधारोपण भी किया जाता है। जिसमें लोग अपने परिवेश में विभिन्न प्रकार के छायादार व फलदार पौधे रोपते हैं।
श्रावण लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है। 4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं। घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है, अब इस त्यौहार को बड़े रूप में मनाया जाने लगा है, लोग पौधे लगाकर प्रकृति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
‘मुन्दोली राइडर्स क्लब’ के बारे में:
मुन्दोली राइडर्स क्लब एक गैर पंजीकृत संगठन है जो हिमालयी क्षेत्र में गरीब और वंचित लोगों और उनके बच्चों के विकास के लिए काम कर रहा है, यहां बच्चों को दौड़ना, साइकिल चलाना, आत्मरक्षा, सार्वजनिक भाषण, कंप्यूटर, गायन, नृत्य, संगीत, पर्वतारोहण, योग, आत्मनिर्भरता और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी आदि सीखा जाता है, क्लब के पास आज लगभग 300 से ज्यादा बच्चे अलग-अलग गाँव में प्रशिक्षण पा चुके हैं, क्लब के उद्देश बच्चों को एक बेहतर जीवन और आत्मनिर्भर बनाना है।
‘मुन्दोली राइडर्स क्लब’ ईको एडवेंचर पार्क का निर्माण:
उत्तराखंड का पारंपरिक त्यौहार हरेला ‘क्लब’ द्वारा मनाया गया, जिसमें ‘मुन्दोली राइडर्स क्लब’ ईको एडवेंचर पार्क का निर्माण किया गया, जिसमें 50 छात्र और 21 ग्रामीण शामिल थे। ग्रामीण: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट, श्रीमती कमला देवी, श्रीमती हरकी देवी (बनपंचायत सरपंच, मुन्दोली), श्रीमती सीता देवी, श्रीमती अंशु देवी, श्रीमती करिश्मा देवी, श्रीमती भुवनेश्वरी देवी (भूना), श्रीमती भागरथी देवी आदि।
क्लब छात्र : क्लब के संस्थापक कलम सिंह बिष्ट की नेत्रत्व में छात्रों ने पौधारोपण किया,
रवीना (मुन्दोली राइडर्स क्लब की अध्यक्ष) अंजू, कोमल, कलावती, नेहा, नीरज पंचोली, नीरज दानू, रोहन, चंद्र मोहन, नितेश, धीरज, राहुल पंचोली, राहुल पुजारी, रितिक, विपिन कुनियाल, पंकज, सूरज पुजारी, साहिल, सोनू, सचिन आदि।
पर्यावरणीय लाभ:
इस प्रकार का प्रयास समय-समय पर किये जाने चाहिए, जिससे हम अपने पर्यावरण और मानव जीवन को, इस प्रकृति को बचाने में सफल हो पायेंगे, क्लब की बेहतर पहल से जनमानस को एक संदेश जाता है, पेड़ है तो जल है, जल है तो कल है, अगर पेड़ ही नहीं रहेंगे या प्रकृति ही नहीं रहेगी, तो जीवन कैसे बचेगा, जीवन कहां रहेगा। दिन प्रतिदिन शहरों की हालत सर्दी और गर्मी से बुरी तरह प्रभावित हो रहे है, दिन प्रतिदिन वनों की कटाई बढ़ रही है जिसका प्रतिफल आज हमारे सामने है, अभी भी वक्त है, हमें इस सुंदर प्रकृति को बचाने के लिए कार्य करना चाहिए।