आयोजन में बीजों की गुणवत्ता और सही उपयोग की विधियों का ज्ञान बताया

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दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पादप जैव प्रोदोगिकी संस्थान के वैज्ञानिक गण ने ग्रामीण क्षेत्रों में एससीएसपी प्रोग्राम के अंतर्गत निःशुल्क बीज वितरण और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

खेती के लिए उचित बीज चयन महत्वपूर्ण है। किसानों को बीजों की गुणवत्ता और सही उपयोग की विधियों का ज्ञान होना आवश्यक है। इस उद्देश्य के लिए, डॉ. दीपक सिंह बिष्ट की नेतृत्व में संस्थान की एक टीम, जिसमें डॉ. अनिल सिंह (प्रमुख वैज्ञानिक), डॉ. सुबोध सिन्हा (प्रमुख वैज्ञानिक), डॉ. जोगेन्द्र सिंह (वैज्ञानिक), और डॉ. भास्कर चिम्मवाल (सहायक प्राध्यापक) शामिल थे, uttaraon gaon के किसानों तक पहुंची।

इस कार्यक्रम में, फूल गोभी, पत्तागोभी, मटर, टमाटर और अन्य उन्नत बीजों का वितरण किया गया, जो किसानों को बेहतर खेती के लिए उपलब्ध किया गया। साथ ही, किसानों को प्लग ट्रे, कोकोपिट, वर्मिक्यूलिट, और पर्लाइट जैसे कृत्रिम मीडिया का भी प्रदान किया गया। डॉ. जोगेन्द्र सिंह ऐवम डॉ सुबोध सिंह ने बताया कि किसान ऑफ-सीजन में कुछ सब्जियों की खेती करके अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं और इसमें ग्रीनहाउस फार्मिंग, हाइड्रोपोनिक्स, और एयरोपोनिक्स जैसे तकनीकों का भी उपयोग किया जा सकता है। डॉ. अनिल सिंह ने किसानों को उन्नत बीजों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ प्लग ट्रे में सब्जियों को उगाने की तकनीक के बारे में भी बताया। प्लग ट्रे में सब्जियों की उच्च उत्पादकता के साथ उगाई गई पौधशाला का विवरण भी किया गया था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, एक सफल कृषि उद्यमी श्री निर्मल तोमर ने भी खुद किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि उत्तराखंड के गाँवों की भौगोलिक परिस्थिति कृषि के नए आविष्कारों के लिए अनुकूल है और यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो कृषि को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने ऑफ-सीजन सब्ज्यों पर भी ध्यान दिया और किसानों को इन तकनीकों को उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. भास्कर चिम्मवाल, जो एक माइक्रो इकनॉमिक्स के विशेषज्ञ हैं, ने किसानों को अनेक सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया और कहा कि किसानों को इन योजनाओं से लाभ उठाना चाहिए और उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को अपने सामूहिक स्तर पर भी भागीदारी करनी चाहिए, ताकि उन्हें नए ज्ञान और संसाधनों का लाभ हो सके।

इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में सूर्य पुरोहित जी का योगदान भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।

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