‌लम्बे समय से न्याय की बाट जो रहे डिगी कॉलेजो के हालत ज्यो के त्यों….

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देहरादून। वर्तमान परिवेश मे डिग्री कालेजों के हालत को देखते हुए गुजरे जमाने का मशहूर गीत याद आता है ” हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक खुदा करे की कयामत हो और तू आये…. ‌लम्बे समय से न्याय की बाट जो रहे डिगी कॉलेजो के हालत ज्यो के त्यों बने हुए है। आखिर कब इन्हे एक समान अधिकार देकर एक आदर्श कालेज के रूप मे विकसित करेंगे।
इन सब सवालो के जवाब व सरकार को एक बार फिर पीएम के नाम पत्र भेजकर पूर्व राज्य मंत्री एवं वरिष्ठ राज्य आंदोलंकारी विवेकानंद खंडूरी ने भारत सरकार से उम्मीद जगाई। है ।
प्रस्तुत मांग पत्र मे अवगत कराया कि लाखों बच्चों के भविष्य को साकार करने वाले डिग्री कालेजों के हालतों को देखते हुए युनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव
काउंसिल ने देहरादून के ख्याति प्राप्त डीएवी पीजी कॉलेज, डीबीएस कालेज, श्री गुरु राम राय डिग्री कॉलेज. एमकेपी कालेज, डीडब्ल्यूटी कॉलेज, एमपीजी कॉलेज मसूरी, पौड़ी गढ़वाल का पैठाणी डिग्री कॉलेज, हरिद्वार सतीकुंड कालेज और बीएसएम कॉलेज रुड़की के नो अशासकीय कॉलेजों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से समाप्त कर दी है। ज्ञातव्य है कि, यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार उत्तराखंड सरकार इन अशासकीय कालेजों को वर्ष 2007 से अनुदान राशि देती है। तीन वर्ष पूर्व उत्तराखंड सरकार ने अनुदान पर रोक लगा दी थी, लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर अनुदान जारी किया गया था।
एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने विश्व विद्यालय को निर्देश दिया कि, शैक्षणिक सत्र 2023-24 से इन कॉलेजों की मान्यता खत्म की जाए और विवि की वेबसाइट से भी इनको हटाया जाए। इसके साथ ही विश्व विद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने राज्य और केंद्र सरकार को इसकी संस्तुति भी प्रेषित कर दी है।
एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मंशा है कि उपरोक्त नो अशासकीय कालेजों की संबद्धता सेंट्रल यूनिवर्सिटी से समाप्त कर राज्य स्तरीय श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाए। सरकार के इस निर्णय से संबंधित कॉलेजों के छात्र और अभिभावक अचम्भित हैं।
जिला देहरादून, गढ़वाल और हरिद्वार जिलों के मध्यम आय वर्ग के छात्र एवं छात्राएं सेंट्रल यूनिवर्सिटी की उच्च स्तरीय और गुणवत्ता युक्त डिग्री प्राप्त कर देश विदेश में नौकरियां प्राप्त कर भविष्य संवारते थे। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता के चलते यहां प्रवेश के लिए छात्र सीयूईटी दे चुके हैं। इसकी संबद्धता समाप्त होने के बाद छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है।
आपसे अनुरोध है कि, यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की उपरोक्त नो अशासकीय कालेजों की संबद्धता सेंट्रल यूनिवर्सिटी से समाप्त किए जाने की संस्तुति को छात्रहित में निरस्त कर पूर्व की व्यवस्था को जारी रखने की मांग की।

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