गोष्ठी मे  महापुरुषों के विचार समाज व देश के विकास में संजीवनी..

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कनाडा । हाल ही मे यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेज़र वेली, ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में 6 दिवसीय डॉ अम्बेडकर और अन्य सामाजिक सुधारकों पर अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन का हर्षोउल्लास के साथ समापन हुआ।

कनाडा में संगोष्ठी के समापन पर भारत सहित, अमेरिका, स्विजेरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, पाकिस्तान, नेपाल, ब्राजिल, बांग्लादेश, न्यूजज़ीलैंड और अन्य देशों से अनेक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संगोष्ठी मे समाज सुधारकों पर अनेक हस्तियों ने अपने विचार प्रकट किये और भविष्य के लिये एक रोडमैप तैयार किया। संगोष्ठी का मुख्य उदेश्य महात्मा बुद्ध, डॉ अम्बेडकर, महात्मा फूले, मंगु राम मुगोवालिया, संत राम उदासी, भगवान दास व बी सी खड़ताले के विचारों पर मंथन करना व समाज के लिये उनकी उपयोगिता पर गहन विचार करना था। इन महापुरषो के विचार आज के समय भी प्रासंगिक हैं और सही दिशा प्रदान करते है।

वक्ताओ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की अम्बेडकर और महात्मा फूले के विचार समाज व देश के विकास के लिए अति आवश्यक हैं।
अम्बेडकर भारत को एक शहरी और उद्योगिक समाज में बदलने का लक्ष्य रखते थे, यह विचार उन्हे आधुनिक यूरोप और अमरीका के निर्माताओं के समकक्ष रखता है।
डॉ अम्बेडकर के अनुसार ग्रामीण आधारित समाज से शहरी समाज की तरफ बढ़ने का मतलब था आधुनिकता की और बढ़ना।
डॉ अम्बेडकर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक न्याय संगत अर्थव्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे। वह देश और समाज में समानता और स्वतंत्रता के पक्षधर थे। अम्बेडकर नारी अधिकारों के प्रति सजग थे और उन्होंने भारतीय संविधान में इसका प्रावधान भी किया हुआ है। वह कानून के महान विद्वान होने के साथ साथ बहुत बड़े आर्थिक विशेषज्ञ भी थे। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अमृत्य सेन ने उन्हे अपने से बड़ा आर्थिक विशेषज्ञ माना है।
डॉ अम्बेडकर के आर्थिक, कानूनी और सामाजिक विचार भारत में ही नही बल्कि दुनिया के अनेक देशों में बड़े आदर के साथ ग्रहण किये जा रहे हैं। उनका जन्मदिन भारत सहित अनेक देशों में मनाया जाता हैं।
इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बनाने के लिये सर्व श्री जय बिरदी, परम केन्थ, आनंद बाली, हरजिंदर मल, सुरजीत बैंस, हरमेश चंद्र और अनेक लोगों ने अहम भूमिका निभाई है।

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