भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
देहरादून। भैया दूज के पावन अवसर पर बृहस्पतिवार प्रात: 8 बजकर 30 मिनट पर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये हैं। इस अवसर पर तीन हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।
प्रदेश के पर्यटन सतपाल महाराज ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने पर यात्रा के सफलता पूर्वक संपन्न होने पर श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति, पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, व्यवस्था में लगे सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित स्थानीय लोगों के सहयोग के लिए उनका आभार जताया।
पर्यटन मंत्री श्री महाराज ने चार धाम यात्रा पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार चारधाम यात्रा पर रिकार्ड पैंतालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नयी केदार पुरी अस्तित्व में आ चुकी है जहां तीर्थयात्रियों को हर संभव सुविधाएं मुहैया हो रही हैं। गौरीकुंड- केदारनाथ रोप वे के बनने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम हो जायेगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है। केदारनाथ धाम में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस बार 1561882 (पंद्रह लाख एकसठ हजार आठ सौ बयासी) तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये हैं।
उन्होने बताया कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान कर चुकी है। पंचमुखी डोली आज प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 28 अक्टूबर को देवडोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास करेगी तथा 29 अक्टूबर को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। इसी के साथ इस वर्ष श्री केदारनाथ यात्रा का समापन हो जायेगा और पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी।
श्री महाराज ने बताया कि 19 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे जबकि श्री हेमकुंट साहिब-लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो चुके हैं। द्वितीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 7 नवंबर तथा द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को बंद हो जायेंगे।
पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कपाट बंद होने के पश्चात अब श्रद्धालु शीतकालीन पूजा स्थल पर आकर भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं।