राजभाषा के अमृत महोत्सव में दे सभी अपना योगदान : डा.जयंती प्रसाद नौटियाल
भारत की आजादी में राजभाषा का बडा योगदान
राजभाषा की विकास यात्रा एवं प्रशासनिक शब्दावली पर आधारित द्वितीय तिमाही की हिन्दी कार्यशाला का आयोजन उप निदेशक राम नारायण, की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य अतिथि, वक्ता एवं महानिदेशक डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल ने अवगत कराया कि भारत का अमृत महोत्सव समाप्ति की ओर हमे मिलकर राजभाषा के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करते इसे आगे ले जाना होगा। भारत की आजादी में राजभाषा का बडा योगदान है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक हिन्दी बोली व पढी जाती है।
इस अवसर पर राज्य कार्यालय, देहरादून के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ- साथ एवं श्री यू. एस. रावत, सहायक -तकनीकी विशेषज्ञ, श्री शोलेन्द्र कुमार, बैंक एक्सपर्ट, मुख्य अतिथि वक्ता डॉ.
राज्य उप निदेशक राम नारायण ने अवगत कराया कि राजभाषा साधारण बोल-चाल की भाषा है, इसे हमे अपनाना चाहिए। अंग्रेजी के कठिन शब्दों का प्रयोग देवनागरी लिपि में किया जाए।
हिंदी कार्यशाला का संचालन बिजेन्द्र कुमार, आशुलिकपक-डी (हिन्दी ) द्वारा किया गया।
राज्य कार्यालय, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, देहरादून में राजभाषा की विकास यात्रा एवं प्रशासनिक शब्दावली पर आधारित द्वितीय तिमाही की हिन्दी कार्यशाला का आयोजन श्री राम नारायण, उप निदेशक प्रभारी महोदय की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर पर दीप प्रज्वलित कर पूज्य बापू के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्शाशाला का शुभारंभ किया गया. मुख्य अतिथि/ वक्ता डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल, महानिदेशक वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान, देहरादून ने राजभाषा की विकास यात्रा एवं प्रशासनिक शब्दावली बिषय पर अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने अवगत कराया कि भारत का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। साथ ही उन्होने अगवत कराया कि भारत की आजादी में राजभाषा का बडा योगदान है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक हिन्दी बोली व पढी जाती है।
इस अवसर पर राज्य कार्यालय, देहरादून के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ- साथ एवं श्री यू. एस. रावत, सहायक निदेशक-प्रथम/प्राचार्य, एम.डी.टी.सी.-देहरादून, श्री एस. आर. डोभाल-तकनीकी विशेषज्ञ, श्री शोलेन्द्र कुमार, बैंक एक्सपर्ट उपस्थित रहे.
श्री राम नारायण, उप निदेशक प्रभारी शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।। संस्कृत श्लोक उद्गरत करते हुए अपने सम्बोधन में अवगत कराया कि राजभाषा के साधारण बोल-चाल की भाषा है, इसे हमे अपनाना चाहिए। अंग्रेजी के कठिन शब्दों का प्रयोग देवनागरी लिपि में किया जाए। मुख्य अतिथि का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े ऐसी कामना कर समापन की घोषणा की.
हिंदी कार्यशाला का संचालन श्री बिजेन्द्र कुमार, आशुलिकपक-डी (हिन्दी ) द्वारा किया गया।