आगाज होना काफी नहीं ! सूरत बदलनी चाहिए…

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देहरादून। कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां है। सिर्फ हंगामा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही , हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।

इस कथन की आवश्यकता का आगाज होना आज बेहद जरूरी हो गया है। नशे के खिलाफ युवाओं में जागरूकता की अलख जगाने वाले सी.आईएम.एस कॉलेज के निदेशक ललित जोशी की मुहीम युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को साकार करने की अनूठी पहल है जिसको लेकर आज पूरे प्रदेश में उनकी अलग पहचान बन गयी है।

ये कह सकते है की आज इनकी मुहीम को कुछ हद तक युवाओं में जागरूकता देखने को मिली है।
परन्तु सबसे एहम बात ये है की नशे का पहला कदम जिसको लेकर अभी तक कोई भी संगठन आवाज नही उठा पा रहा है वो है युवाओं में लगातार बढ़ता धूम्रपान ।
हर गली के नुक्क्ड़ पर चाहे खाने का होटल हो या चाय की दुकान हर दुकानदार के पास हर ब्रांड की सिगरेट मौजूद होगी। यहां तक की सिगरेट नुमा कागज भी
आसानी से खुले आम बिक रहा है। कभी वो वक्त था जब गुरु जनो को देखकर नजरें शर्म से झुक जाया करती थी।
हम संस्कृति की बात करते है आज वे ही बेशार्मी से अपने गुरु जनों के सामने सिगरेट का धुआँ उड़ाते हुए सर्वजनिक स्थानों पर अक्सर देखने को मिलते है। आज सिगरट पीने वाले कम उम्र के युवाओं को सुधारने की आवश्यकता है।

ललित जी ! कहने का मतलब ये है कि जिस दिन देहरादून शहर में आपके द्वारा कम उम्र के नौजवान स्मोकिंग करना बंद कर दे तो समझ लीजिये आपकी मुहीम उस दिन रंग ला सकेगी।
नशे को रोक पाना तो बहुत दूर की बात है आज की युवा पीढ़ी स्मोकिंग को छोड़ने को तैयार नही है।
कम से कम इतना हो जाये खुले आम बिकने वाले ये धुएँ की वस्तुएँ व सामान स्कूलों व अस्पतालो के आसपास बिकना बंद हो जाये तो ललित जी के सपने को कुछ हद तक पँख मिल जाएंगे।

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