परीक्षाओं और परिणामों में देरी ! मानसिक तनाव में हज़ारों छात्र

उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में BAMS छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ
देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, हर्रावाला (देहरादून) में अध्ययनरत BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) पाठ्यक्रम के छात्रों ने 1 जुलाई 2025 से विश्वविद्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना–प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया है। इस आंदोलन में विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों के कुल 500 से अधिक छात्र शामिल हैं, जो बैच 2019, 2020, 2021 एवं 2022 से संबंधित हैं।
धरने पर बैठे छात्रों का कहना है कि बीते एक वर्ष से अधिक समय से उनके साथ शैक्षणिक स्तर पर घोर लापरवाही की जा रही है। विश्वविद्यालय द्वारा न तो समय पर परीक्षाएं करवाई जा रही हैं, न ही परीक्षा परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। कई छात्रों की वर्षवार परीक्षाएं अब तक कराई ही नहीं गई हैं, जिससे उनका शैक्षणिक भविष्य अधर में लटक गया है।
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और संबंधित कॉलेजों द्वारा लगातार उन्हें अनदेखा और गुमराह किया गया। पिछले महीने में भी दो बार शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया, जिसमें छात्रों ने प्रशासन से समस्याओं को शीघ्र सुलझाने की मांग की थी। हर बार छात्रों को केवल आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया, लेकिन व्यावहारिक रूप से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। छात्रों ने बताया कि हाल ही में जब वे कुलपति से अपनी समस्याएँ लेकर मिलने गए, तो उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वे छात्रों की समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ हैं।
छात्रों ने बताया कि वे मानसिक रूप से बेहद तनाव में हैं। पढ़ाई में नियमितता न होने, परीक्षा की अनिश्चितता और परिणाम की देरी के कारण वे न तो आगे की पढ़ाई की योजना बना पा रहे हैं और न ही भविष्य में किसी प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा या उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर पा रहे हैं। कई छात्रों की इंटर्नशिप तक शुरू नहीं हो सकी है, जबकि अन्य विश्वविद्यालयों में इसी कोर्स के छात्र अब अंतिम वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं।
छात्रों ने मांग की है कि—
1. विश्वविद्यालय द्वारा सभी लंबित परीक्षाओं की तिथियाँ शीघ्र घोषित की जाएं।
2. जिन परीक्षाओं का आयोजन हो चुका है, उनके परिणाम अविलंब जारी किए जाएं।
3. जिन छात्रों की परीक्षा अब तक नहीं कराई गई है, उनके लिए विशेष तिथि शीघ्र निर्धारित की जाए।
4. छात्रों के एकेडमिक लॉस की भरपाई हेतु समेकित शैक्षणिक योजना बनाई जाए।
5. विश्वविद्यालय प्रशासन में जवाबदेही तय की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
छात्रों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया जाता और प्रशासनिक स्तर पर स्पष्ट व समयबद्ध कार्ययोजना नहीं प्रस्तुत की जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
छात्र आंदोलन समिति ने राज्य सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं उत्तराखंड आयुष मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप की माँग की है, ताकि प्रदेश की आयुर्वेदिक शिक्षा व्यवस्था को चरमराने से रोका जा सके। छात्रों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगों की अनदेखी की गई, तो वे आंदोलन को और व्यापक रूप में राज्यभर के अन्य कॉलेजों तक ले जाएंगे।
यह धरना केवल एक संस्थान का मामला नहीं, बल्कि पूरे राज्य की आयुर्वेदिक शिक्षा की स्थिति का आईना है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो इसका दूरगामी असर न केवल छात्रों पर बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा।