गर्भावस्था के नाम पर जिस्म की नुमाइश का घिनोना सच

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भरतीय संस्कृति की खिल्ली उड़ाता बॉलीवुड का अनूठा फैशन

देहरादून। मां..शब्द दुनिया का सबसे आसान लब्ज है जिसे पुरी कायनात मिलकर भी परिभाषित नहीं कर सकती,वो शब्द है माँ…। इस शब्द से बड़ा आज कोई ऐसा शब्द पूरे ब्रह्मांड में नहीं है जो पूर्णतः माँ शब्द का अर्थ निकाल सके।
हमारी हिन्दू समाज में माँ को ही ईश्वर का रूप दिया गया है।
परन्तु वर्तमान परिवेश में माँ के महत्व को आज की युवा पीढ़ी झुठलाती जा रही। जिसका ताजा उदाहरण चन्द नोटों के खातिर भारतीय क्रकेटर की पत्नी अनुष्का शर्मा सरीखी बॉलीवुड अभिनेत्री ने अपने अंत: वस्त्र दिखाते हुए अपनी गर्भावस्था को एक मैग्जीन के हाथों बेच कर उसकी नुमाइश पूरी दुनिया मे कर डाली। क्या इन्हें पैसो की कमी थी? क्या लोकप्रियता हासिल करने का यही एक तरीका रह गया है ? केवल ये ही नही ऐसी कई मशहूर अभिनेत्रियां है जो लोकप्रियता को पाने की चाहत में गर्भावस्था कि नुमाइश को अपना फैशन बना रही है।
इस प्रकार की अनूठी नुमाइश का चलन बॉलीवुड में अब आम होता जा रहा है। इस अश्लीलता को देखकर आज पूरा हिन्दू समाज शर्मसार हो गया है परंतु ये दोष केवल उन अभिनेत्रियों का ही नही है इसके लिए फिल्मो के रूप में अश्लीलता परोसने वाले फ़िल्म निर्माता व इसके प्रदर्शन की मंजूरी देने वाला सेंसर बोर्ड भी इसका जिम्मेदार है।
आज के दौर की बॉलीवुड फिल्मे देख कर युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति व पहचान खोती जा रही है। आने वाले समय की तस्वीर क्या होगी कुछ कहा नही जा सकता।
स्वपन नगरी कहे जाने वाली बॉलीवुड इंडस्ट्री आज अश्लीलता व फूहड़पन की सभी सीमाएं लांग चुकी है। एक समय था जब मदर इंडिया जैसी फिल्मे बनती थी। जिसकी पृष्ठ भूमि ने माँ के त्याग व बलिदान की कहानी गढ़ी थी। याद आता है वो दौर जब वर्ष 1956 व 1960 मै मशहूर निर्देशक बिमल रॉय द्वारा निर्देशित मधुमती, बंदनी व सुजाता जैसी महान फ़िल्मो ने महिला समाज को नई दिशा दी थी। परन्तु आज के इस दौर की व्यवसायिक फिल्मो ने तो नारी के चरित्र को ही बदल कर रख दिया। इनके गलैमर छवि का प्रभाव ये पड़ा कि इनका किरदार रुपहले पर्दे के बाहर आम जीवन में भी इनके रहन सहन को प्रभावित करने लगा।
ताज्जुब होता है कि आज बॉलीवुड समाज देश को किस दिशा में ले जा रहा है। क्या यही हमारे आजाद मुल्क की तस्वीर है जो कि एक माँ बनने वाली औरत लोकप्रियता व पैसो की होड़ में अपने खुले जिस्म की नुमाइश करें।
इसके लिए केवल बॉलीवुड दोषी नही है बल्कि दोष हमारे मीडिया समाज का भी है जो ठीक तरह से अपने दायित्वों का निर्वहन नहीँ कर पा रहे है। यही वजह है कि आज इन लोगो के हौसले बुलंद है कोई भी इनके खिलाफ बोलने वाला नही है । होना तो ये चाहिए था कि ऐसी अदाकारों की फिल्मों पर प्रतिबंद लगाया जाए जो अपनी गर्भावस्था को एक मैगजीन के हाथों बेच रही है चाहे सेलिना हो , करीना हो या अनुष्का ऐसी अदाकाराओं की फिल्मों का समाजिक रूप से बहिस्कार किया जाना चाहिए। जो ये भूल जाती है कि ये बॉलीवुड अभिनेत्री ही नही बल्कि भारत की बेटी भी है।

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