जलवायु संकट मानव जीवन पर बढ़ता दुष्प्रभाव …

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जीवन शैली को प्रकृति संरक्षण के अनुरूप ढालना होगा….

बलधाऱी सिंह

देश के अनेक हिस्सों में गर्मी का पारा चढ़ता जा रहा है. मानव जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मानव के शरीर , स्वास्थ्य और मन पर काफी असर डालता है. देश के कुछ राज्यों को छोड़कर सब जगह गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है. जलवायु परिवर्तन का मनुष्य ही नही बल्कि पशु, पक्षियों, पेड़ पौधों और फसलों पर भी प्रभाव पड़ता है.

जलवायु परिवर्तन पृथ्वी की पर्यावर्णीय परिस्थितियों मे बदलाव से है. यह बदलाव कई आंतरिक व् बाहरी कारणों से होता है. जलवायु परिवर्तन भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व के लिये चिंता का विषय है. जलवायु परिवर्तन के कई कारण है उनमें प्रमुख प्राकृतिक और मानव निर्मित कारण है.

मानव की अनेक वांछित और अवांछित गतिविधियों ने पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाला है. इसके लिए विश्व के सभी देश जिम्मेदार हैं खासकर विकसित देश।

यह चिंता की बात है की भारत ग्रीन हाउस गैसो का तीसरा बड़ा उत्सर्जक है, इसके बावजूद भी यहाँ प्रति व्यक्ति उत्सर्जन तुलनात्मक रूप से कम् है और गरीबों मे प्रति व्यक्ति बिजली की खपत कम है, मध्यम और अमीर वर्गो मे खपत ज्यादा है. जलवायु परिवर्तन के कारण ही हमारी जल आपूर्ति, कृषि व वनों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
मानव ने अपनी आवश्यकताओ और लोभ के कारण अनेक ऐसे कार्य किये हैं जो न केवल पर्यावरण बल्कि उसके खुद के लिये भी हानिकारक है इनमें वन कटान व लकड़ी को जलाने के काम मे अत्यधिक उपयोग करना शामिल है। प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी विस्फोट, सौर विकिरण व कक्षीय परिवर्तन शामिल वे।

अप्रैल माह में यह देखा गया है कि केरल में पहली बार दैनिक बिजली की खपत 10 करोड़ यूनिट का आंकडा पार कर गई है. 13 अप्रैल को केरल की ऊर्जा खपत 10.3 करोड़ यूनिट थी. गर्मी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, यह भारत के समक्ष आनेवाली चुनौतियों का आभास मात्र है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बिजली खपत को लेकर गंभीर चिंताएं बनी हुई है. शहरों मे बढ़ती गर्मी, ए.सी का बढ़ता हुआ इस्तेमाल और कोविड जैसी महामारियों के कारण बिजली की ज्यादा खपत होती है।

अब समय आ गया है कि जीवन शैली में छोटे छोटे व्यवहारिक परिवर्तनों का पालन करके नकारात्मक जलवायु परिवर्तन में कमी लाई जा सकती है। जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता में विद्यार्थियों और युवाओं का योगदान न केवल महत्वपूर्ण होगा बल्कि भारत में मिशन लाइफ का वैश्विक अभियान विश्व को पर्यावरण संरक्षण के लिए भी सफल रूप से प्रेरित करेगा।इसके लिए हमें अपनी दिन चर्या में कुछ मामूली व्यहारिक परिवर्तन लाने होंगें। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमें जी-20 की अध्यक्षता का सुअवसर मिला है।ऐसे समय में परिवार और विद्यालयों की नैतिक जिम्मेदारी है कि शिक्षा के साथ साथ बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति संस्कार पोषण भी करें। पर्यावरण संरक्षण में आप जनजागरूकता का प्रसार कर सकते हैं।इसके लिए जीवन शैली को प्रकृति संरक्षण के अनुरूप बनाना होगा।जैसे कि बिना आवश्यकता के बिजली का प्रयोग न करें,आरओ वाटर से निकलने वाले वेस्टेज वाटर को कूलर और पौधों के लिए प्रयोग करें,कूड़े का निस्तारण करने से पहले गीला सूखा कूड़ा अलग अलग करें।
घर का कचरा कूड़े वाहन को दें उसे जलाकर नष्ट न करें।
बाजार जाने से पहले कपड़े का थैला लेकर जाएँ। प्लास्टिक पॉलीथिन का प्रयोग बिल्कुल न करें।आने जाने के लिए बैटरी चालित या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें। ऐसा करने से आप न केवल भारत को समृद्धि की ओर ले जाएंगे बल्कि साथ ही हम विश्व को पर्यावरण संरक्षण के लिए नेतृत्व कर मिशन लाइफ को सफल कर सकेंगे। पर्यावरण संरक्षण में सरकार की जिम्मेदारी बड़ी है लेकिन हमारी छोटी छोटी आदतें जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को रोकने में सफल साबित हो सकती हैं।

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