महान शिक्षाविद् का निधन राष्ट्र, समाज व लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति…..

भारतीय लोकतंत्र के सजग प्रहरी नही रहे…..
डॉ. बी. आर. चौहान
नई दिल्ली। भारत में चुनावों में पारदर्शिता की लड़ाई के प्रमुख चेहरे रहे प्रोफेसर जगदीप छोकर का शुक्रवार को निधन हो गया. वे इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट IIM अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ADR के संस्थापक सदस्य थे। ADR ने चुनावी राजनीति को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
प्रो. छोकर ही ऐसे शख्स थे, जिनकी पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति और शैक्षिक योग्यता का खुलासा करना अनिवार्य किया था. इस फैसले को भारतीय लोकतंत्र में एक मील का पत्थर माना जाता है।
इस महान शिक्षाविद् का निधन राष्ट्र, समाज व लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान 2002 मे हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले मे यह स्पष्ट कर दिया की सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को एक शपथ पत्र दाखिल करना होगा जिसमे उनकी पृष्ठभूमि – वितीय, शैक्षिक व अपराधिक मामलों के विषय में जानकारी देनी होगी। यह (ADR) की महत्वपूर्ण जीत थी।
छोकर जी बेहद ईमानदार व साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति थे। उनका परलोक गमन न केवल विधिक समुदाय बल्कि देश के आम नागरिको के लिये भी दुखदायी है। उन्होंने देश व अपने नागरिको के लिए राजनैतिक व कानूनी लड़ाइयों को सफलता पूर्वक लड़ा और जीत का परचम लहराया।
चुनावी बाड (Bond) योजना को सुप्रीम कोर्ट से रद्द करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एस. आई. आर (S I R) के भी वह याचिकाकर्ता थे। छोकर जी ने सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिये संघर्ष किया और जीत हाँसिल की। उनका विश्वास था कि लोकतंत्र में सरकार को जवाबदेह होना चाहिए।
जनहित के प्रबल समर्थक होने के साथ साथ वह महान क्रांतिकारी विचारक ,समाजिक सुधारक व कुशल वकील भी थे। वह पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे इसलिए उन्हे पक्षी प्रेमी भी कहा जाता है।
उनका महत्वपूर्ण योगदान यह है की उन्होंने नागरिको को उनके अधिकारों के बारे मे जागरूक किया और याद दिलाया कि आम आदमी की हैसियत भी लोकतंत्र मे किसी से कम नही है।
उनकी महानता यह दर्शाती है कि उन्होंने मृत्यु के बाद अपना शरीर चिकित्सा अनुसंधान के लिये दान कर दिया।