छ्लक पड़ते है आंसु मेरे सुनकर वो दर्द भरी दास्तां ….

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केदारनाथ आपदा का वो काला दिवस…

“देहरादून । मुश्किल हालातों के उस दौर का कैसे करूं मैं बयां…
छ्लक पड़ते है आंसु मेरे सुनकर वो दर्द भरी दास्तां….”
केदारनाथ आपदा मे अपनी जान गवां चुके हजारों लोग दिवंगत गई चुके है। इस त्रासदी मे ना जाने कितने लोग लापता हुए है। इस घटना को दस वर्ष बीत चुके है। आज भी वो दर्द भरा मंजर याद आता है तो आँखों से आँसू निकल पड़ते है।
इस आपदा को याद करते हुए आज गांधी पार्क मे शाम के समय सामाजिक संगठनों व आंदोलंकारी संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने श्रदांजलि सभा आयोजित की इस दौरान दिवंगत आत्माओं की शन्ति हेतु मोम बत्ती जलाकर दो मिनट का मौन धारण किया गया।
वरिष्ठ आंदोलनकारी वेदिका वेद ने आपदा से जुड़ी उस घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उस त्रासदी मे किस तरह लोगों की दुनिया उजड़ गयी हस्ती खेलती जिंदगी मातम मे बदल गयी।
उन्होंने कहा उस उस वक्त पंजीकरण सिस्टम नहीं था इसलिए मरने वालो का आंकलन कर पाना बेहद मुश्किल था। सरकार को इस घटना से सबक लेना होगा। जलवायु परिवर्तन का जो संकट है उससे हमे सावधानियाँ बरतनी होगी हमारा हिमालय को बचाना होगा। अगर हमारे पहाड़ सुरक्षित रहे तो पर्यटन भी सुरक्षित रहेगा और लोग भी सुरक्षित रहेंगे।

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि केदार आपदा से सबक लेकर हम जल्द एक संयुक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपेंगे कि पहाड़ों पर केदारनाथ में जो हवाई यात्रा ही हो रहे ध्वनि प्रदूषण पर कोई नियंत्रण नहीं हैं हेलीकाप्टर के अनगिनत चक्कर से उनकी गड़गड़ाहट से हमारें हिम स्खलन होने की लगातार संभावना बनी हुई हैं और जीव जन्तुओ का जीवन भी इसका बुरा असर है। आने वाले समय में इसके दुर्गामी परिणाम बहुत चिंता जनक है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए केवल
उम्र दराज या विकलांग लोगो को हेली सुविधा दी जाय बाकी पुरानी प्रथा को ध्यान में रखकर यात्रा होनी चाहियॆ।
ताकि स्थानीय लोगो को होम सटे , जलपान , होटेल , ढाबे इत्यादि भी चलते रहे ताकि पर्यावरण का भी संतुलन बना रहे।

मौजूद लोगों में सतीश धौलाखंडी, जगमोहन मेहंदीरत्ता, ब्रिगेडियर के जी बहल , क्रांति कुकरेती, पुष्पलता सिलवाणा, अंबुज शर्मा, प्रभात डंड्रियाल, मोहन खत्री, चंद्रकिरण राणा, हरि सिंह महर, राजेंद्र इसटवाल, शिखर संदेश प्रतिनिधि एवं पत्रकार सुभाष कुमार , हीरा सिंह नेगी, प्रदीप कांबोज, आकाशदीप, राकेश भट्ट, यशवंत सिंह जंगपांगी आदि मौजद रहे।

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