नोंकझोंक व तानाशाही की इंतहा ने उठाया ऐसा कदम कि उजड़ गया आशियाना…
देहरादून । उम्र के आखरी पड़ाव में जब बच्चों का साथ छूट जाता है तो ऐसे में जीवन साथी ही एक मात्र जीने का सहारा होता है जिसके सहारे जिंदगी का सफर आसानी से कट जाता है। राम सिंह की जिंदगी का सफर भी अच्छा कट जाता लेकिन अचानक आये इस तूफान ने उसकी जिंदगी का रुख बदल कर रख दिया। आज अपने ही जीवन साथी की हत्या ने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
गुस्सा आवेश इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी है यही कारण है कि बलबीर रोड़ निवासी 73 वर्षीय राम सिंह अपने गुस्से को काबू ना कर पाए। बेटे व पहली पत्नी के गुजरने के बाद कई सालों से अपने पोते व दूसरी पत्नी उषा के साथ अच्छा समय व्यतीत कर रहे थे। उनके बाद सम्पति कौन संभालेगा शायद ये चिंता उन्हें खाये जा रही थी । बीती रात जब उनकी पत्नी सम्पति को लेकर अपनी राय जाहिर कर रही थी तो अचानक पत्नी के बार बार ये कहने पर कि पौते की बजाए सम्पति उसके नाम कर दो इस बात पर राम सिंह अपना आपा खो बैठे। जरा सी बात पर अपने गुस्से को काबू कर पाते तो शायद ये जिंदगी तबाह होने से बच जाती। सम्पत्ति के मोह ने इंसान को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।
घटना के दौरान घायल अवस्था मे राम सिंह खुद अपनी पत्नी को अस्पताल ले गए लेकिन वो बच ना सकी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के कुछ ही देर बाद पुलिस के सामने राम सिंह ने सारी घटना बताई और जुर्म कबूल कर लिया।