भावना पांडे ने दून के पत्रकारों का जाना दर्द
एफोर्डेबल हाउस योजना के तहत पत्रकारो के सपने होंगे साकार
उत्तराखण्ड में पत्रकारों को आजीविका के लिये लंबे संघर्षो से जूझना पड़ रहा है।आज कड़े प्रतिस्पर्धा के इस दौर में पत्रकारिता को बेहतर बनाना बहुत कठिन होता जा रहा है।राज्य निमार्ण को 20 वर्ष बीतने जा रहे है लेकिन अभी तक पत्रकार आवास का मसला ज्यो का त्यों है।आज 20 वर्षो में कितने मुख्यमंत्री आये और चले गए परन्तु किसी ने भी अपने कार्यकाल में पत्रकार आवास मसले पर कोई भी ठोस नीति नही बना पाए।
राज्य आंदोलनकारी व समाज सेवी भावना पांडे अकेले देहरादून के पत्रकारों के आवास के लिए निरन्तर प्रयास कर उन्हें आवास के रूप में कम लागत में एफोर्डेबल हाउस की योजना के तहत भवन उपलब्ध कराना चाहती है। सरकार को भेजे गए प्रस्ताव पत्र में भावना पांडे ने कहा कि राजधानी देहरादून में आज भी 90 प्रतिशत पत्रकार ईमानदार हैं और अपने पेशे के प्रति समर्पित हैं। यह बात अलग है कि उनके मालिक या उनके संपादक उनकी ईमानदारी को व्यवसायिकता के तराजू पर तोल कर स्वयं लाभ उठा लेते हैं। कोरोना काल में पत्रकारों की आर्थिक दशा किसी से छिपी हुई नहीं है। अधिकांश पत्रकार बेरोजगार हो गये हैं या उनका वेतन कम कर दिया गया है। ऐसे में इन पत्रकारों का जीवन और अधिक कठिन हो गया है।
मेरा देहरादून के पत्रकारों से नियमित मिलना होता है। उनकी पीड़ा है कि कम वेतन में किराये का मकान, बच्चों के स्कूल की भारी फीस और अन्य खर्चे उनके लिए चिन्ता का विषय होते हैं। दूसरे राज्यों में पत्रकारों के लिए पत्रकार कालोनियां हैं। पत्रकारों को सरकारों ने सरकारी आवास मुहैया कराए हैं। या कम कीमत पर जमीन या फ्लैट उपलब्ध कराते हैं लेकिन उत्तराखंड में पत्रकारों को भी हाशिए पर रखा गया है। सरकारों ने पत्रकारों को उपेक्षित किया है।
पत्रकार कल्याण कोष होते हुए भी पत्रकारों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा है। पत्रकारों की इसी पीड़ा को देखते हुए मैंने तय किया है कि जल्द ही पत्रकारों के लिए सस्ते आवासीय भवन निर्माण करूंगी। मैंने और मेरे दिल्ली और लखनऊ के कुछ साथियों ने हाल में हरिद्वार में पतंजलि के निकट हरिद्वार पैराडाइज प्रोजेक्ट लांच किया है। यह एफोर्डबल हाउस योजना है और इसके तहत पीएम आवासीय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है।
इसी तरह की योजना अब देहरादून में पत्रकारों के लिए भी लांच की जाएगी ताकि पत्रकारों और उनके परिवारों का अपना घर का सपना साकार हो सके और उन्हें मकान का किराया न देना पड़े।