बन्द मुठ्ठी लाख की खुल गयी तो खाक की.

0

किसकी जीत किसकी हार कौन होगा राज्य का पालनहार

देहरादून। उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव के मतदान के बाद पूरे राज्य में हर प्रत्याशियों की दिनचर्या चुनाव की उठापठक के बाद भले ही सामान्य हो गयी हो लेकिन रोजाना हार-जीत का द्वंद्व युद्ध उनके भीतर की जिज्ञासा को अशांत किये हुए है। चुनाव लड़ने वाला चाहे सत्तारूढ़ दल का विधायक हो या विपक्ष पार्टी का प्रत्याशी हो दोनों की हालत एक समान है। ये बात और है कि वे अपने भीतर की मनोदशा को प्रदर्शित नही कर सकते और लोगों के समक्ष या मीडिया से वार्ता के दौरान सवालों के जवाब में बार बार यही बात दोहराते है कि हम जीत रहे।
जीतने का दम भरने वाले उन प्रत्याशियों के भीतर का हाल जानो तो पता चलेगा कि उनकी राते कैसी काटती है और दिन कैसे गुजरता है।
मजे की बात ये है कि मतगढ़ना से पूर्व का ये समय आम लोगो के लिए जिज्ञासाओं और मनोरंजन से कम दिलचस्प नही होता । सरकारी महकमो में काम करने वाले अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक चाय की दुकानों में व अन्य कई सार्वजनिक जगहों पर बस चुनाव ही कि चर्चाओं सुनते रहिए । इसके अतिरिक्त अन्य कोई विषय नही है लोगो के पास। लोग अपने चहते प्रत्याशी को जिताने की बात करते है कुछ लोग तो विपक्ष की सरकार बन रही ये कहकर जमाचोकडी लगी भीड़ में रोमांच भरने का काम करते है। पल भर में हरीश रावत के मुख्यमंत्री का दावा किया जाता है और दूसरे लोग धामी के मुख्यमंत्री बने रहने की बात कर लोगो की जिज्ञासाओं को बढ़ावा देने लगते है।
हम तो यही कहेंगे कि जब तक परिणाम नही आते फिलहाल सभी लोगो की प्रतिक्रयाओं व आलोचनाओ को सुनकर मजा लो। मगर बेतुके की बहस का हिस्सा मत बनो जिससे झगड़ा या फसाद की नौबत आये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *