सीएम साहब अब तो कुछ करों ! कर दो थोड़ी सख्ती
चुनाव में उलझा सरकारी तंत्र कोरोना नियन्त्रण का लगा नही मन्त्र
देहरादून। पुरानी कहावत है रोम जल रहा था और उसका शासक नीरो बांसुरी बजा रहा था। कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखण्ड राज्य का दिख रहा है जिसमे मंत्री से लेकर अधिकारी व सचिव सभी एक सुर में चल रहे है। चारों तरफ चुनाव की बयार है। कोरोना का बढता कहर आम लोगो को धीरे-धीरे अपनी आगोश में ले रहा है इस बात से बेखबर होकर बस चुनाव की तैयारी में जुटे है। सचिवालय से लेकर विधानसभा तक सभी सरकारी द्वार बिना किसी रुकावट के खुले पड़े है आने जाने वाले व वहाँ काम करने वालों की कोई सीमा निर्धारित नही है। कहने को चुनाव आचार सहिंता लगी पड़ी है परन्तु उसका असर दूर तक कहीं दिखाई नही देता। पार्टी कार्यालयों में कार्यकर्ताओं की भीड़ रोज कार्यालय परिसर में देखने को मिल रही है। क्या जरूरत है इस तरह कार्यकर्ताओ की भीड़ को एकत्र करनी की।
पुलिस प्रशासन का डंडा आम जनता पर क्या चलेगा जब खुद पर नियन्त्रण नहीं है। जबकि सूबे में पुलिस कर्मियों को लगातार वैक्सीन की तीसरी डोज कहे जाने वाले बूस्टर लगाया जा चुका है उसके बावजूद पुलिस कर्मी संक्रमित पाए जा रहे है।
आज संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है उसके लिए पूरा सरकारी तंत्र जिम्मेदार है ।
मुख्यमंत्री जी जागिये नही तो बहुत देर हो जाएगी। यदि आंकड़ो पर नियंत्रण लाना है तो अभी कुछ सख्ती कर दीजिए।सड़को पर व बाजारों पर लगी भीड़ को थोड़ा कम कर दीजिए। लगा दो कुछ दिनों का लॉकडाउन कम से कम युवा पीढ़ी का बे वजह यू घूमना तो कम होगा।