चुनाव का आगाज : राजनैतिक दलों का मार्केटिंग युग

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मतदाताओं को रिझाने में जुटे राजनैैतिक दल

देहरादून। चुनाव का समय बस कुछ दिनों बाद आने वाला है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे वैसे राजनैतिक दलों में प्रतिस्पर्धाओं की होड़ सी मची है। कुछ राजनैतिक दलों ने मतदाताओं को रिझाने के नित नए प्रयोग शरू कर दिए है।
जिस प्रकार कम्पनियों द्वारा अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए गेट वन बाई वन जैसे तरीको से ग्राहकों को रिझाया जाता है ठीक उसी प्रकार राजनैतिक दलों ने भी यही फंडा अपना लिया है।
जी हाँ! सुनने में तो अजीब सा लगता है परन्तु आज वास्तविकता यही है।आए दिन हर रोज कोई न कोई राजनैतिक पार्टी समाचारों व विज्ञापनों के जरिये लोगो को रिझाने में लगे है कोई गरीबो का मसीहा बनकर महंगाई के खिलाफ जनता को रिझाता है तो कोई पानी- बिजली निशुल्क देने का दावा कर रहा है। यहाँ तक कि धर्म के नाम पर मसीहा बने राजनैतिक दलों ने लोगो को निशुल्क धार्मिक स्थलों पर ले जाने की अपील तक कर डाली है।
कुछ राजनैतिक दल तो निशुल्क श्रम कार्ड बनाकर आम पब्लिक का दिल जीतने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। कुछ पार्टियों ने तो यहां तक कह डाला कि सरकार बनते ही उनकी पार्टी युवाओं को रोजगार मुहैया कराएगी। पहाड़ों से पलायन को रोकेंगे।
सारे दावे कर रही राजनैतिक पार्टियों का असल मे आस्तित्व क्या है इस बात की किसी को कोई परवाह नही। देश में अराजकता बढ़ेगी या घटेगी इस बात की कोई चिंता नही बस कम्पनी की तरह अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग किये जाओं। कभी देश व समाज की सेवा के लिए राजनैतिक पार्टियों का जन्म हुआ था । जिसका मूलमंत्र समाज व देश सेवा के लिए समर्पित हो जाना ये ही दर्शाया जाता था परन्तु आज राजनैतिक थाली में दिखाया कुछ और है और परोसा कुछ और जा रहा है। क्या होगा इस देश का क्या ये वही ऋषिमुनि व देवो की तपस्थली है या महात्मा गांधी, विवेकानंद , गुरू रवींद्रनाथ टैगोर का देश है आज के इस भौतिक युग मे इंसान की सोच कहां जा रही है।कुछ कह पाना मुश्किल है।

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