प्रभा रानी का दुनिया से रुकसत होना गांधीवादी युग का अंत……

प्रख्यात् गांधीवादी विचारक प्रभा जी नही रही

डॉ बी आर चौहान
(नई दिल्ली) ।  गांधीवादी, सौम्य, मृदुभाषी व सबके सुख दुख मे काम आने वाली जानी मानी समाज सेविका, 93 वर्षीय श्रीमती प्रभा रानी अब हमारे बीच नही रही। उनके जाने से धर्मनिरपेक्ष समाज को बहुत नुकसान पहुंचा है।
30 मई 2025 को अचानक हृदयगति रुक जाने से मैक्स होस्पिटल, पड़पड़गंज, दिल्ली मे उन्होंने अंतिम सांस ली। श्रीमती प्रभा रानी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित ईश्वर दत्त शर्मा व शिक्षिका सुशीला देवी की पुत्री थी।  श्रीमती  सुशीला कस्तूरबा गाँधी विद्यालय की प्रधानाचार्य भी थी, यह दोनो जाति प्रथा मे विश्वास नही रखते थे। स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने गाँधी जी के साथ बढ़चढ़ कर भाग लिया।
प्रभा  की शादी उनके माता- पिता ने वरिष्ठ रेलवे अधिकारी व मानद मजिस्ट्रेट श्री राम दयाल डेगौर से करवाई थी. श्री डेगौर सरकारी सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद समाज सेवा में जुड़ गये थे. कुछ वर्ष पूर्व उनका भी देहांत हो गया था.
गांधीवादी विचारधारा प्रभा जी को स्वतंत्रता सेनानी माता- पिता से विरासत में ही मिली थी. इन्होंने उस समय स्नातक की डिग्री हासिल की जिस समय देश की अधिकांश महिलाएं अशिक्षित थी.यही कारण है कि प्रभा जी बिना किसी राग द्वेष के सभी धर्मो और संप्रदायों के बीच समाज सेवा का काम करती थी, सभी के दुख सुख में खड़ी रहती थी और महिला शिक्षा व महिला सशक्तिकरण की प्रबल हिमायती थी. वह ऊंच-नीच व अमीर गरीब के बीच खाई को हमेशा पाटने मे लगी रहती थी. आज के समय में ऐसी समाज सेविका का चले जाना बहुत दुखद व पीड़ादायी है। वह अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर चली गई है . उनके तीन पुत्र व एक पुत्री है. दो पुत्र उनके विदेश में कार्यरत है और एक बेटा व बेटी भारत में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं. उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 1.6.2025 को निगम बोध घाट पर किया जायेगा।