संवैधानिक नैतिकता और कानून…..
डॉ बी आर चौहान
अहमदाबाद। भारत के सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत न्यायधीश और वर्तमान मे फिजी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस मदन पी लोकुर् ने आज अहमदाबाद के एच. टी. पारिख सभागार में द्वितीय अशोक हीरवे मेमोरियल लेक्चर के अवसर पर अपने उद्गार वक्तव्य करते हुए संवैधानिक नैतिकता और कानून के विषय में कई महत्वपूर्ण बातें बताई।
उपरोक्त जानकारी प्रो. दिनेश अवस्थी , उप कुलपति और इस संस्था के मानद सचिव ने दी और यह बताया कि यह आयोजन “सेंटर फॉर डवेलोपमेंट अल्टरनेटिवस् ” की ओर से किया गया था. उन्होंने समारोह में आये अतिथियों का परिचय भी दिया. प्रो.इंदिरा हिरवे, इस संस्था की शैक्षणिक सलाहकार समिति की अध्यक्ष है उन्होंने पुष्प गुच्छ और ममेंटो देकर अतिथियों का स्वागत किया.
इस समारोह की अध्यक्षता जम्मू और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी. सी. पटेल ने की।
जस्टिस लोकुर् ने संवैधानिक नैतिकता और कानून पर बोलते हुए कहा कि सरकार अच्छे काम भी कर रही है। उन्होंने डॉ बी आर अम्बेडकर और डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे मे भी बताया कि संविधान बनाते वक्त इन महानुभावों ने बहुत परिश्रम किया और अच्छे से अच्छे कानूनों का निर्माण किया। डॉ अम्बेडकर के भाषण का उल्लेख करते हुए जस्टिस लोकुर् ने बताया कि संविधान कितना ही बढ़िया क्योँ न हो यदि उसको लागू करने वाला व्यक्ति ठीक न हो तो संविधान की सफलता संधिग्ध हो सकती हैं। आम लोगों की भलाई के लिये ही संविधान की संरचना की जाती हैं।
अपने वक्तव्य में जस्टिस लोकुर् ने बताया कि हमें कानून बनाते वक्त और उसके लागू करते वक्त सात दिव्य बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि आम नागरिकों को न्याय मिल सके। इनमें दान, शुद्धता, लगन, विनम्रता, दयालुता, धैर्य और संयम है।
न्यायाधीश महोदय ने जोर देकर कहा कि कुछ राज्यों के राज्यपाल अपनी मनमानी कर रहे हैं जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। उन्होंने केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब के उदाहरण भी दिये. उन्होंने हाल में हुए चंडीगढ़ चुनाव व मनीष सिसोदिया के बारे मे अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि किसी भी नागरिक को बिना किसी घोर अपराध के लम्बे समय तक जेल में रखना ठीक नहीं है. लोकहित मे नीतियां बनाते वक्त इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने क्या सोचा था और हम क्या कर रहे है.
न्यायमूर्ति लोकुर् ने इस बात पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान में तथाकथित ‘बुलडोजर न्याय’ गलत है.दिल्ली में एक 600 साल पुरानी मस्जिद को इसलिए बहाना बनाकर गिरा दिया की इस मस्जिद को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया था जबकि कानून की गलत व्याख्या करके डी.डी.ए ने ही उस पर अतिक्रमण किया है.
हेट स्पीच देने वालों पर भी तुरंत कार्यवाही होनी जरूरी है.कानून लागू करने वाली ऐजेंसीओं को भी ईमानदारी से कानून का पालन करना अत्यंत आवश्यक है. यदि ऐसा नही किया जाता है तो लोगोँ का विश्वास सरकार पर कम हो जायेगा. इससे लोकतंत्र को ही भारी नुकसान होगा .
वास्तव मे संवैधानिक निकाय या उसको लागू करने वाले कई बार कानून की गलत व्याख्या करके आम लोगों के मौलिक अधिकारों पर भी अतिक्रमण करते है जो बिलकुल अनुचित है. जस्टिस लोकुर् ने इस बात पर भी अफसोस व्यक्त किया की मनरेगा के श्रमिकों को भी समय पर मजदूरी नही मिलती और उन्हे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है जबकि कानूनी रूप से इसे उचित नही माना जा सकता है.
बिल्किस बानों केस पर भी उन्होंने खेद जताया कि अपराधियों का फूलमाला डालकर लोग उनका जेल से छूटने पर स्वागत करते है. गुजरात सरकार को उन्हे रिहा करने का कोई अधिकार नही था. राज्य को ऐसा अधिकार न होने के बावजूद भी सरकार ने अपराधियों को छोड़ दिया. इससे लोगों मे गलत संदेश जाता है और सरकार के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है.
अंत में प्रो. राजेंद्र जोशी ने जस्टिस लोकुर् और जस्टिस पटेल का आभार व्यक्त करते हुए कहा की इन महानुभावों ने अपना कीमती समय देकर अनुग्रहित किया है. प्रो. जोशी ने यह भी कहा कि जस्टिस लोकुर् ने हाशिए पर आये गरीब लोगों और न्याय प्रणाली को सुदृढ़ता प्रदान कर देश और मानवता की सेवा की है. यही कारण है कि सेवा निवृति के बाद भी वह फिजी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाये गये हैं. जस्टिस पटेल की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि आपके निर्णयों से देश को और नई पीढी के वकीलों को भी एक नई दिशा मिली है.
इस व्याख्यान माला मे गुजरात यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर, डॉक्टर, वकील, संभ्रात् नागरिक व बड़ी संख्या मे विधार्थी मौजूद थे उनका भी प्रो. जोशी ने पधारने के लिये धन्यवाद किया ।
प्रो. इंदिरा हिरवे और प्रो. दिनेश अवस्थी अपना बहुमूल्य समय निकालकर आये और समारोह की शोभा बढ़ायी,उनकाे भी प्रो. जोशी ने धन्यवाद दिया . इसके अतिरिक्त रोजा नायर जी और वसंत पटेल जी के सफल प्रबंधन के लिए उनका आभार भी जताया।