विधान परिषद के मुद्दे पर  भाजपा को  घेरने की तैयारी में कांगेस

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हरीश रावत के कथित बयान को महाराज ने बताया औचित्यहीन

देहरादून। चुनाव की सरगर्मियां शुरू होते ही राजनैतिक दलों में सरकार को ग़ैरने की कवायद शुरू हो चली है। पहले तो महंगाई का मुद्दा जोर पकड़ रहा था मगर रोज रोज एक ही मुद्दा कब तक राजनैतिक दलों की दिलचस्पी बढ़ाता तो अब राजनीतिक दलों में जोश का संचार पैदा करने के लिए काफी मशक्कत के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व तेज तर्रार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की राजनैतिक विचार धारा से ओतप्रोत निकले एक मुद्दे ने भाजपा नेताओं की नींद उड़ा दी है। हालांकि मुद्दा इतना विवादस्पद नही है परन्तु इस वक्त इस मुद्दे का कोई औचित्य कही दिखाई नही देता है। मुद्दा है कि उत्तराखण्ड  में क्या विधान परिषद बनाया जाए। कांग्रेस के इस नए शिगूफे से फिलहाल भजपा सरकार में बौखलाहट से मच गई है। कांग्रेस के इस मुद्दे को लेकर भाजपा के दिग्गज नेताओं में प्रतिक्रयाओं का दौर शुरू हो गया है।

वरिष्ठ भाजपा नेता एवं कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि  छोटे राज्य में विधान परिषद का गठन औचित्यहीन और जनता के पैसे की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के कांग्रेस नेता को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्हीं की पार्टी के एक प्रमुख नेता तत्कालीन चुनाव प्रभारी सुरेश पचौरी के सामने भी जब 2002 में विधान परिषद के गठन का विषय आया था तो उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यह व्यवस्था छोटे राज्य में नहीं है इसलिए उत्तराखंड में विधान परिषद का कोई औचित्य नहीं है। तब उन्होंने इस विषय को चुनाव घोषणा पत्र में भी शामिल करने से इंकार कर दिया था।

श्री महाराज ने कहा कि हिमाचल के साथ-साथ नवगठित छत्तीसगढ़, झारखंड और देश के अन्य किसी भी छोटे राज्य में विधान परिषद नहीं है। आंध्र प्रदेश तक ने अपने यहां विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया हुआ है।

उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी विधान परिषद के गठन की बात कहना सरासर बेईमानी और जनता की गाढी कमाई की लूट के अलावा और कुछ नहीं है। इसके बजाए पूरा पैसा विकास कार्यों में लगने चाहिए ताकि प्रदेश का सर्रवांगीण विकास हो सके।

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