प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राओं को मिला ऑफलाइन आवेदन का दिया…

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विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को जारी किये दिशा-निर्देश

देहरादून । उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने से वंचित रहे छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार ने एक और मौका दिया है। प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राएं अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी राजकीय विश्वविद्यालय परिसर, सम्बद्ध महाविद्यालय एवं संस्थान तथा राजकीय महाविद्यालयों में सीधे ऑफलाइन आवेदन कर सकेंगे। संबंधित विश्वविद्यालय, महाविद्यालय तथा संस्थान की जिम्मेदारी होगी कि ऑफलाइन आवेदन करने वाले छात्रों का पंजीकरण ई-गवर्नेंस समर्थ पोर्टल पर करायें।
सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके शासकीय आवास पर आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया। डा. रावत ने बताया कि विभिन्न माध्यमों से सूचना मिली थी कि सैकड़ों छात्र-छात्राएं कतिपय कारणों से समर्थ पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा पाने के कारण प्रवेश लेने से वंचित रह गये हैं। जिसको देखते हुये निर्णय लिया गया है कि प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राएं अपने निकटवर्ती राजकीय महाविद्यालयों, विश्वविद्यालय परिसरों व संबद्ध निजी शिक्षण संस्थानों में सीट की उपलब्धता के आधार पर सीधे ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। संबंधित शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त छात्र-छात्राओं के आवेदनों का अपने संस्थान के माध्यम से समर्थ पोर्टल पर पंजीकरण करायें। इसके अलावा जिन छात्र-छात्राओं ने पूर्व में समर्थ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किये थे लेकिन विकल्प के रूप में 10 से कम महाविद्यालयों में आवेदन किया था वह भी अन्य शिक्षण संस्थानों में पूर्व में किये गये पंजीकरण संख्या के आधार ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में सूबे के तीनों राजकीय विश्वविद्यालयों श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय तथा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को निर्देश जारी कर दिये गये हैं ताकि विश्वविद्यालय अपने-अपने सम्बद्ध राजकीय, अनुदानित एवं निजी शिक्षण संस्थानों को अपने स्तर से दिशा-निर्देश जारी कर सकेंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि यह उन छात्र-छात्राओं को अंतिम मौका दिया जा रहा है जो विभिन्न कारणों से पूर्व में ऑनलाइन पंजीकरण कराने व प्रवेश लेने से वंचित रह गये थे। बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, नोडल अधिकारी समर्थ पोर्टल डा. चमन कुमार, सहायक नोडल अधिकारी डा. शैलेन्द्र सिंह, मनीष कुमार आदि उपस्थित रहे।

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