समाज को सही दिशा दिखाने वाले महापुरुषों के योगदान से ही बदली है देश की सूरत…..

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डॉक्टर अम्बेडकर व अन्य महान सुधारको के जीवन पर कनाडा मे संगोष्ठी

( प्रवीण गंगुरडे)
कनाडा। समाज को सही दिशा दिखाने वाले महापुरषों के योगदान को कनाडा मे आयोजित, 6-दिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान याद किया। अनेक देशों से आये प्रतिनिधियों ने गोष्ठी मे अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी समाज में विविध और विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। वे विभिन्न धर्म, जाति, रंग, लिंग व अनेक विश्वासो को मानने वाले हो सकते है। उनसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वे समाज मे तालमेल बिठाये और बिना किसी भेदभाव के साथ रहे।
डॉ.अम्बेडकर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अनेक प्रतिनिधियों ने संविधान शिल्पी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। संगोष्ठी मे तय हुआ की पूरी दुनिया में इनके जन्म दिन को एक उत्सव के रूप मे मनाया जायेगा। अम्बेडकर जयन्ती को “समानता दिवस” और “ज्ञान दिवस” के रूप में हर वर्ष मनाया जायेगा, क्योंकि जीवन भर समानता और स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने वाले बाबा साहब को समानता और ज्ञान का प्रतिक माना जाता है.
डॉ अम्बेडकर का कहना था कि हर छात्र को अपने चरित्र का निर्माण प्रज्ञा, शील, करुणा, विद्या और मैत्री पंचतत्वों के आधार पर करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई व्यक्ति जीवन भर सीखना चाहे तो भी वह ज्ञान सागर के पानी में घुटने जितना ही जा सकता है।

संगोष्ठी मे भारत के महान सपूत महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों पर भी गहन मंथन किया गया और उन्हे युगदृष्टा बताया गया। डॉ अम्बेडकर इन्हे अपना गुरु मानते थे। फुले जी के अथक प्रयासो से ही पिछड़ों, दलितों और खासकर महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाजे खुले। इस काम के लिये उन्हे और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले को अनेक कष्ट और अपमान सहने पड़े लेकिन वह अपने रास्ते पर अडिग रहे। इनके ही प्रयास से सत्य शोधक समाज की स्थापना हुई।

शिमला,हिमाचल प्रदेश से एक और महान हस्ती हुई है जिन्हे हम भगवान दास के नाम से जानते है. इन्होंने बचपन में बहुत अपमान झेला तो। इनके पिता सफाई कर्मी थे इसके बावजूद भी गरीबी हालत में इनके पिता ने इन्हे पढ़ाया। यह बचपन से ही बड़े मेधावी छात्र रहे थे.इन्होंने रॉयल एयर फोर्स मे भी काम किया। सौभाग्य से इनकी मुलाकात डॉ.अंबेडकर से शिमला में हुई उस समय इनकी उम्र 16 साल थी, बाद में यह बाबासाहेब अम्बेडकर के रिसर्च असिस्टेंट भी रहे l इन्हे शुरू से ही समाज सेवा की लगन थी।

इन्होंने तमाम उम्र गरीब व पिछड़े वर्ग की सेवा की. भगवान दास एक अच्छे वकील भी थे. वह निर्धन व कमजोर वर्ग के लोगो के मुकदमे मुफ्त मे लड़ा करते थे. उन्होंने दबे कुचले समाज के उत्थान के लिए बहुत सी किताबे भी लिखी. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ मे भी दलितों और पिछड़ों पर भी अपनी बात रखी। शुरू से ही दास जी अम्बेडकर के विचारों का प्रचार- प्रसार करते रहे।

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