जीवन की मधुरता व पहाड़ की वेदना को दर्शाते है नरेंद्र सिंह नेगी के गीत

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देहरादून। सालों से पहाड़ की संस्कृति से रूबरू कराते आ रहे नरेन्द्र सिंह नेगी के गीत हर व्यक्ति के दिल मे उतर जाते है। ये उनकी आवाज का जादू है जो आज तक इतने समय से उनके गीतों की मधुरता कायम है । नेगी जी के नये गीत में गायिकी संगीत और रिदम में ताजगी लगी। बाकी कुछ समय से नेगी जी लेखनी में जो भी नई रचनाएं आ रही वो स्तरीय तो हैं पर उनके कद अनुरूप नही लगती वर्तमान में गढ़वाली साहित्य में लेखन में नई कथावस्तु साहित्यकार नरेंद्र कठैत लेखन में नजर आती है जिनके एक एक शब्द में साहित्य शिल्प दिखता है बाकी गढ़वाली रचनाएँ मंचीय स्तर की हो रही है। बाकी नेगी जी का नया गीत स्तरीय है गीत में जून(चांद) वाली अंतरा काफी नई लगी और बारहखड़ी वाली काफी आकर्षक है। गीत फिल्माकंन काफी सुन्दर हुआ है शुभकामनाएं पर नेगी जी नई शिल्प और कथावस्तु अनुरूप की उम्मीद एक बार फिर बनती नाम के अनुरूप । बाकी भविष्य जब सम्पूर्ण आकलन होगा गीतों यह सभी रचनाएँ स्तरीय श्रेष्ठ ही होंगी पर वर्तमान में कुछ समय नेगी जी कलम नया शिल्प नही आया नई रचनाएँ जरूर आ रही हैं । बाकी गीत बहुत मेलोडियस है हर बार की तरह।

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