आखिर आंदोनलकारी मंच की उम्मीदों पर पानी फेर दिया….

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 आयोग के साथ की गई वार्ता के परिणाम हुए निराशाजनक साबित

देहरादून।उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच द्वारा पूर्व में विद्युत दरों को लेकर नियामक आयोग व अन्य प्रशासनिक विभागों के साथ की गई वार्ता के परिणाम निराशाजनक साबित हुए। कोरोना काल मे इस वक्त ये निर्णय लेना सही नही था। दुख की बात है राज्य आंदोलन के सबसे बड़े संगठन की दलीलों को नियामक आयोग ने निराधार साबित कर उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। गौरतलब है कि आयोग की,विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तवित विद्युत दरो मे वृद्धि आदि विषयो पर आयोजित बैठक मे जनता की शिकायत व सुझाव पर सुनवाई की गई थी। इसमे कई संस्था के प्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता तथा UPCL , PTCUL , UJVAL , SLDC विभागों के अधिकारीगण भी उपस्थित धे। इस अवसर पर संयुक्त नागरिक संगठन , राज्य आंदोलनकारी मंच , नेताजी संघर्ष समिति व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रतिनिधि व कई कई सामाजिक कार्यकताओं ने हिस्सेदारी की थी। प्रस्तुत बैठक में ये तय किया था कि आमजन के हितों को लेकर बिजली की दरो को कम करने व प्रत्येक माह बिल भुगतान सुविधा , जर्जर पोल को तत्काल बदलना व चौक चौराहों पर बिजली के ट्रांसफार्मर व पैनल खुले के बजाय सुरक्षा जाल लगाना व जनता की शिकायतों का तत्काल निस्तारण के साथ भ्रष्ट अधिकारियों से वसूली व सजा का प्रावधान हो एंव ठेकेदारों के साथ संलिप्तता पर दण्ड की सिफारिश व उपभोक्ताओ द्बारा बिजली की कम यूनिट खर्च पर छुट की सुविधा देना जैसी आदि बातो पर खुलकर बात हुई जिसका आयोग
द्बारा अधिकारियों को निर्देश दिये एंव आयोग के समक्ष भविष्य में जनता की सुविधाओ को लेकर UPCL के अधिकारी ने भी कार्यवाही का भरोसा दिया था।
इन सबके बावजूद आखिर नियामक आयोग ने आम जन की भावनाओ के साथ साथ राज्य के आंदोलनकारी संगठन को विश्ववास में लेकर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ की है। राज्य आंदोलनकारी संगठनों को चाहिए इस शासन द्वारा लिए गए इस निर्णय का प्रतिकार करें।कोरोना काल के समय जब पूरा देश इस महामारी त्रस्त है ऐसे में ऊर्जा विभाग को इस समय खुल कर आगे आना चाहिए।

 

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