महाविद्यालय पर लगे ग्रहण को दूर करने की आस: तीरथ सरकार को सोंपा मांग पत्र
छात्रों का भविष्य सीएम के निर्णय पर
देहरादून। महाविद्यालय डीएवी कॉलेज में सरकार का निर्णय वापिस लिए जाने सम्बंधित मामले पर शिक्षक संघ व छात्रसंघ से जुड़े सभी ने लोगो ने सँयुक्त रूप से मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत को मांग पत्र सोंपा। उलेखनीय है कि त्रिवेंद्र सरकार द्वारा डीएवी महाविद्यालय सहित कई विद्यालयो की अनुदान राशि बंद किये जाने के निर्णय को असवैंधानिक करार देते हुए राज्य के महाविद्यालयो का भविष्य संकट पड़ गया है। इस स्थिति निबटने के लिए पूर्व छात्र संघ व शिक्षक संघ से जुड़े सदस्यों व पदाधिकारी आंदोलन की राह पर चल पड़े है। उम्मीद की राह अभी दूर है। लम्बे समय से डीएवी कॉलेज ने कई होनहार प्रतिभाएँ देश को दी है। अन्य कॉलेजों की भांति डीएवी कॉलेज को मिलने वाला अनुदान सरकार की नीतियों के चलते बन्द होने जा रहा है जिसके चलते राज्य में शिक्षा प्रणाली ठप्प होने की कगार पर है यदि ऐसा हुआ तो निश्चितरूप से कॉलेज का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा। यही नही बल्कि राज्य में एचएनबी यूनिवर्सटी से सम्बद्ध जितने भी महाविद्यालय है उन सभी के भविष्य को ग्रहण लग सकता है।
इस सम्बंध में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य मंत्री विवेकानंद खंडूरी व एच.एन.बी गढ़वाल विश्विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष एसपी मित्तल ने सयुंक्त रूप से विगत 15 जनवरी को प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन से मिलकर इस सम्बंध में चर्चा की थी जिसपर उन्होंने कैबेनेट में लिए गए निर्णय को वापिस लिए जाने की मांग भी की थी। परन्तु उसके कोई भी नतीजे अभी तक सामने नही आ पाए। कैबेनेट की बैठक में ये तय किया गया था कि राज्य के सभी महाविद्यालय को श्री देव सुमन की सम्बद्धता अनिवार्य रूप से लेनी होगी। जो इसका अनुपालन नही करेंगे वे सरकारी अनुदान से वंचित हो जाएंगे। सरकार के लिए गए इस निर्णय को गलत ठहराते हुए महाविद्यालय से जुड़े समस्त शिक्षक संघ व छात्र संघ के प्रति निधियों ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहना है कि यदि सरकार अपना निर्णय वापिस नही लेती तो इन्हें मजबूरन हाईकोर्ट की शरण मे जाना होगा। उन्होंने सरकार को शीघ्र अपना निर्णय बदलने की मांग की है।
इस सम्बंध में आंदोलनकारी एवं पूर्व छत्रसंघ अध्यक्ष व पूर्व राज्य मंत्री विवेकानन्द खंडूरी का कहना है कि केंद्रीय सरकार की नीति के तहत राज्य में एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी होनी आवश्यक है जिसमे गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके परंतु जब पहले से ही एचएनबी सेंट्रल यूनिवर्सटी है तो दूसरे की आवश्यकता क्यों? उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सटी के तहत लगभग चालीस लाख छात्र छात्राएं को लाभ मिलता है। अगर अनुदान बन्द होता है तो लाखों छात्र छात्राओं का भविष्य अधर में लटक सकता है।