पूर्व सीएम हरीश रावत का दर्द ! नहीं दे पाए मनपसंद प्रत्याशी को वोट…..
देहरादून। इस बार निकाय चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत को सबसे बड़ा मलाल ये हुआ है कि वह अपने मनपसंद प्रत्याशी को वोट नहीं दे पाए। इस बात को लेकर राजनैतिक गलियारों में खूब चर्चा आम हो रही है। सत्तारूढ़ दल के नेता इस बात को परिहास का रूप देते हुए मीडिया में खूब प्रतिक्रियाएं दे रहे है। लेकिन सोचने की बात ये है कि ना जाने ऐसे कितने लोगों को इस बार मतदान से वंचित होना पड़ा होगा ..क्या सरकार व शासन के लिए ये चिंता का विषय नहीं है।
उत्तराखंड निकाय चुनाव 2025 के लिए गुरूवार सुबह से ही मतदान जारी है। बड़ी संख्या में वोटर मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन कई ऐसे वीआईपी भी हैं, जो उत्तराखंड निकाय चुनाव 2025 में अपना वोट नहीं डाल पा रहे हैं। ऐसे ही एक नेता हैं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत निकाय चुनाव के दौरान अपने मनपसंद प्रत्याशी को वोट नहीं कर पाए। दरअसल, हरीश रावत मतदान के लिए उत्सुक तो थे, लेकिन चाह कर भी वो मतदान नहीं कर पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि हरीश रावत का मतदाता सूची में नाम ही दर्ज नहीं किया गया था। हैरत की बात यह है कि काफी खोजबीन के बाद भी हरीश रावत को अपना नाम मतदाता सूची में नहीं मिल पाया।
निकाय चुनाव में मतदान के बीच हरीश रावत ने प्रदेशवासियों को एक नया संदेश दिया है। हरीश रावत ने कहा कि अब मतदाताओं को अपने मतदान सूची में नाम की सुरक्षा खुद करनी होगी। उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने की है, लोग उस गलती को ना दोहराएं और मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज है, इसकी खुद निगरानी करें।
जानकारी के मुताबिक हरीश रावत का वोट दून नगर निगम के वार्ड नंबर वार्ड नंबर 76 में है। गुरुवार को उन्होंने अपने बूथ पर वोट डालने के लिए पार्टी कार्यकर्तओं से अपनी मतदाता सूची से पर्ची लाने के लिए कहा। जब पार्टी के कार्यकर्ता मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतदाता सूची में उनका नाम ढूंढने लगे तो पता चला कि हरीश रावत का नाम मतदाता सूची में मौजूद ही नहीं था। काफी कोशिश के बाद भी मतदाता सूची में हरीश रावत का नाम नहीं मिला।
हरीश रावत के आरोपों पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत मतदान के प्रति कितने जागरूक है, इसका पता इससे लगता है कि वो वोटिंग के दिन ही अपने मत को ढूंढने निकले है। शायद हरीश रावत को पता ही नहीं है कि वो कहा के वोटर हैं। हरीश रावत के अलावा दून अस्पताल के पूर्व एमएस केसी पंत भी एक से दूसरे बूथ के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने एमकेपी कॉलेज में अपना वोट डाला था, लेकिन अब उनका नाम वोटिंग लिस्ट में नहीं मिल पा रहा है। उनके परिवार में चार सदस्य हैं। किसी का भी नाम मतदाता सूची में उन्हें नहीं मिल पा रहा है और वह दो से तीन बूथों के चक्कर सवेरे से काट रहे हैं। लेकिन उनका नाम नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि वोट देना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उन्हें इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है।