कैप्टन मोहन सिंह रावत ने देश की सेवा में अपने अदम्य साहस और पराक्रम से पेश की अनूठी मिसाल : राजयपाल


शौर्य चक्र विजेता कैप्टन (से.) मोहन सिंह रावत को स्मृति चिन्ह प्रदान कर राज्यपाल ने बढ़ाया मान

देहरादून । सोमवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शौर्य चक्र विजेता कैप्टन (सेवानिवृत्त) मोहन सिंह रावत ने शिष्टाचार भेंट की। उत्तराखण्ड के मूल निवासी कैप्टन मोहन सिंह रावत, जिनका नाम देश के साहसी और वीर सैनिकों में शामिल है, ने देश की सेवा में अपने अदम्य साहस और पराक्रम की अनूठी मिसाल पेश की है। उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि कैप्टन मोहन सिंह रावत जैसे वीर सपूतों के कारण हमारा देश सुरक्षित है और हम सभी उनके बलिदानों के ऋणी हैं। वीरभूमि और सैन्यभूमि उत्तराखंड के वीर सपूत कैप्टन मोहन जैसे जांबाज उनकी वीरता और देशभक्ति हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि कैप्टन रावत ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। इस अवसर पर राज्यपाल ने कैप्टन मोहन सिंह रावत की वीरता की सराहना करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कैप्टन मोहन सिंह रावत ने अपनी मुठभेड़ को याद करते हुए बताया कि दिनांक 5 जुलाई 1999 की देर रात 2 बजे सूचना आई कि पाकिस्तानी सेना की एक टुकड़ी देश की सीमा में घुस आई है। ऐसे में कैप्टन रावत बटालियन के साथ उसी समय निकले और चार घंटे लगातार पैदल चलने के बाद उनका सामना पाकिस्तानी सैनिकों से हुआ, जिसमें कैप्टन मोहन सिंह रावत ने तीन पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया। इसके पश्चात कैप्टन रावत अपनी बटालियन को लेकर आगे बढ़ रहे थे, तभी पेड़ों के पीछे छिपे एक पाकिस्तानी सैनिक ने एके-47 से उन पर हमला कर दिया जिसमें उनके शरीर में 17 गोलियां जा लगीं। इस मुठभेड़ में उनके हाथ से उनकी एके-47 जमीन पर जा गिरी। इस हालात में भी उनका हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने जैकेट से हैंड ग्रेनेड निकालकर पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया