यूनिवर्सिटी के नाम पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों..?

पुरानी शिक्षा नीति जिनको रास ना आई…।

सियासत के दाँव पेच दिखा कर तुमने कर दी शिक्षा की रुसवाई।

शिक्षा के स्वरूप को ऐसे बना डाला व्यापार विश्वास तुम्हारा करके हमने खुद से ठोकर खाई।

ये चंद पंक्तियां आज के इन मौजूदा हालत को बयां करती है जो आज शिक्षा के बेहतर भविष्य की परिकल्पनाओं के साकारात्मक पहलुओं को भुला कर उन्हे भटकाने का प्रयास कर रहे है।

प्रदेश की नई शिक्षा नीति के चलते महाविद्यालय के स्वरूप को बदलने की कूटनीति से आम जनमानस को रूबरू कराने का प्रयास किया गया है।

देहरादून। भारतीय जनता पार्टी नेता विवेकानंद खंडूड़ी ने उत्तराखंड शासन के उपसचिव के गढ़वाल मंडल के अशासकीय राजकीय सहायता प्राप्त करीब आठ डिग्री कॉलेजों की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता समाप्त कर 31 मई तक श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से अनिवार्य संबद्धता लेने के निर्देश को उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल के स्थगनादेश का उल्लघंन बताया है। इसके साथ ही उत्तराखंड शासन का उच्च शिक्षा विभाग भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक उच्च शिक्षा, प्रबन्धीय शिक्षा, उच्च तकनीकी शिक्षा और उच्च चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने की मुहिम को पलीता लगा रहा है। भाजपा नेता खंडूड़ी ने बताया कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने घोषणा पत्र के माध्यम से देशभर में उच्च शिक्षण संस्थान, आईआईटी, आईआईएम और एम्स स्थापित कराए जाने का वादा किया है। जिसपर तेजी से काम हुआ और लाखों युवा लाभान्वित हुए हैं। लेकिन उत्तराखंड शासन का उच्च शिक्षा विभाग इसके उलट केन्द्रीय स्तरीय उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के बजाय राज्य स्तरीय शिक्षा देने पर तुला हुआ है। शासन का यह आदेश, उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को केन्द्रीय स्तरीय उच्च शिक्षा से वंचित कर राज्य स्तरीय शिक्षा तक सीमित करने वाला अदूरदर्शी कदम है। इसके अलावा यदि श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी और प्रभावित डिग्री कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर के दृष्टिकोण से आंकलन किया जाए तो श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी का इंफ्रास्ट्रक्चर, इन कालेजों के मुकाबले कमतर ही होगा। श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी में अभी तक लाॅ फेकल्टी सहित कई अन्य फेकल्टी मौजूद नहीं हैं। इसके बावजूद भी उत्तराखंड शासन ने संबंधित कालेजों को श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्ध होने के आदेश दिए हैं।

भाजपा नेता खण्डूड़ी ने बताया कि, बीत दिनों उत्तराखंड शासन के उपसचिव ब्योमकेश दूबे ने उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के आठ राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को 31 मई तक अनिवार्य रूप से हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता समाप्त कर , राज्य स्तरीय श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के निर्देश दिए हैं। निर्देशानुसार संबद्धता न लेने वाले महाविद्यालयों को वेतन के रूप में मिलने वाले राजकीय अनुदान को शैक्षिक सत्र 2024-25 से बंद करने की चेतावनी भी दी गई है । जबकि यह मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन है, जिसपर 12 जून को सुनवाई होनी है।
गत वर्ष भी हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने इन सभी कालेजों को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता समाप्त कर , श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के निर्देश दिए थे। आदेश, के विरुद्ध प्रभावित महाविद्यालयों ने उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य करार करते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के निर्णय पर रोक लगा दी थी। खण्डपीठ ने कहा कि, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 4 (f) के प्रावधानों के अंतर्गत सम्मिलित राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर पर संबद्धता का निर्णय नहीं लिया जा सकता है।