पहाड़ की विलुप्त हो रही संस्कृति और परंपराओं के लिए महिला समूह आई आगे

देहरादून। बंजारावाला गंगोत्री एनक्लेव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की महिला समूह द्वारा पहाड़ की विलुप्त हो रही संस्कृति और परंपराओं के लिए आगे लाने का संकल्प लिया गया है। बंजारावाला के टीकाराम चैक के पास गंगोत्री एनक्लेव में एकत्र हुई महिलाओं ने पहाड़ की समृद्ध संस्कृति के संरक्षण के लिए काम करने का संकल्प लिया है।
बताते चलें की राजधानी देहरादून में ज्यादातर महिलाएं पहाड़ों से सिर्फ रोजगार और अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए देहरादून जैसे शहरों में पलायन को मजबूर हुई है,  ऐसे में जो संस्कृति पहाड़ों में छूट गई है उसे फिर देहरादून में पुनर्जीवित करने के लिए अपने रूटीन कार्य के अलावा महिलाओं ने मनोरंजन के लिए उन सभी खेलों को अपने दैनिक क्रियाकलापों में शामिल करने का संकल्प लिया है, जो वह पहाड़ों में रहकर किया करती थी। इन खेलों में कुर्सी दौड़, घोड़ा जमान शाही,  पोशांपा, भाई पोशंपा, अंताक्षरी और पहाड़ों में घसियारियों के द्वारा गाए जाने वाले पावडे आदि भी शामिल है। इतना ही नहीं शादी विवाह और सामूहिक कार्य में पहाड़ों में महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से पकाए जाने वाले भोज और उसे वितरित करने के लिए पंगत में बैठकर सामूहिक भोज की परंपरा को भी जीवित करने का निर्णय लिया गया है। गंगोत्री वेलफेयर एसोसिएशन की महिला विंग की कविता कोठारी, शीला गैरोला, संतोषी, कल्पना नीलम, रेखा और नंदी बहूगुणा ने बताया कि कॉलोनी में हर सप्ताह महिलाओं को एक टास्क दिया गया है। हर महीने संस्कृति के संरक्षण के लिए एक विधा का उपयोग करते हुए मनोरंजन कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं। ताकि पहाड़ छोड़कर आने वाले महिलाओं को पहाड़ों से जुड़ाव बना रहे।