स्वामी विवेकानंद के नाम पर पिता ने रखा था मेरा नाम विवेकानंद …..
कैसे चुकाऊंगा कर्ज उस पिता का इस जन्म में जिनके हाथों ने मेरी तकदीर बनायी थी, अपने जीवन के सारे रंग छोड़ भविष्य की सुनहरी तस्वीर बनायी थी ….
देहरादून। स्वामी विवेकानंद के नाम पर पिता ने मेरा नाम विवेकानंद रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि मैं भी उन्ही के पद चिन्हो पर चलूँ।
अपने पिता स्व. धर्मानंद खंडूरी की पूर्ण्य तिथि पर आज अपने आवास पर उन्हे श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए वरिष्ठ राज्य आंदोलंकारी व अपने जमाने के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विवेकानंद खंडूरी ने ये उदगार व्यक्त किये।
अपने पिता स्व.धर्मानंद खंडूरी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विवेकानंद खंडूरी ने कहा कि
धर्मानंद खंडूरी ब्रिटिश बर्मा शरणार्थी ट्रांजिट कैंप में सहायक कैंप कमांडर और परिवहन अधिकारी थे, उन्हें 1942 में किंग जॉर्ज-V द्वारा स्थापित अनुकरणीय सेवाओं के लिए ब्रिटिश एम्पायर मैडल मिला था।लंदन का बॉटनिकल गार्डन, एसपी वॉटल जनपद चमोली के पहले डीएम (एक करीबी मित्र भी)। उन्होंने करीबी दोस्त डॉ.बोर के साथ भी काम किया था। स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड की पहाड़ियों और गांवों की सेवा करने की उत्सुकता में ब्रिटेन में तैनाती और सेवा से उन्होंने इंकार कर दिया था और पूरे शहर के वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक के रूप में देहरादून शहर की सेवा की।
उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के नाम पर मेरा नाम विवेकानन्द रखा, क्योंकि वे चाहते थे कि मैं भी उन्हीं के पदचिन्हों पर चलूँ..