पंजाब की धरती पर उगे आनाज अब नहीं रहे खाने के लायक….
कैंसर जैसी घातक बीमारियों को बढ़ा रहे हैं जहरीले रासायनिक पदार्थ
बी. आर चौहान
नई दिल्ली: आधुनिक उन्नत किस्म की खेती को नया आयाम देने के लिए पंजाब को आदर्श राज्य के रूप में देखा जाता रहा है. 1966-1970 के समय पंजाब को कृषि में श्रेष्ठता के रूप में पहचान मिली थी लेकिन समय ने करवट ली और अब यह राज्य खराब कृषि का मॉडल बन रहा है। पंजाब की उपजाऊ भूमि रासायनिक खादो और जहरीले किटनाशको के अत्यधिक प्रयोग की वजह से काफी हद तक खराब हो चुकी है. ‘ द वर्ल्ड वॉच इंस्टिटूयूट’ के वैज्ञानिक लेस्टर ब्राउन ने विश्व व्यापी आंकड़ो से यह सिद्ध कर दिया है कि जल ठहराव और लवणीकरण के कारण अनेक देशों में कृषि भूमि खराब हो चुकी है।
अभी हाल ही में भारतीय प्रोधोगिक संस्थान, मंडी, हिमाचल प्रदेश ने अपने शोध में खुलासा किया है कि पंजाब में धरती के नीचे से जहरीले पानी की वजह से कैंसर की बीमारी जोर पकड़ रही हैं।
पंजाब के दक्षिण पश्चिम इलाकों में भूमिजल की गुणवता खराब होने के कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी बढ़ रही है. यह प्रदेश जिसे हम देश की रोटी का कटौरा मानते हैं अब वह कैंसर की राजधानी बनता जा रहा है.
अपने शोध में शोधकर्ताओं डॉ डेरिस् स्तुति शुक्ल, हरसिमरन कौर रोमाना और प्रो. रमेश पी सिंह ने पाया कि लगभग 94 प्रतिशत आबादी पीने के पानी के लिए भू -जल पर आश्रित है। इस टीम ने सन् 2000 से 2020 की शोध से पता लगाया है कि जल कैसे दूषित हुआ है. इन्होंने 315 जगहो से पानी के सेम्पल इकठे किये और उसका परीक्षण किया.
कृषि में हरित क्रांति की वजह से अनेक बदलाव व प्रयोग किये गये और अधिक लाभ व पैदावार के लिए कई अवैज्ञानिक तरीके अपनाये गये। भूमि जल का अंधाधुंध दोहन जी का जंजाल बना. मानसून का समय पर न होना और खाद व कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग और 74 प्रतिशत से अधिक सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए भू- जल का इस्तेमाल किया गया । इस वजह से भूमि की उपजाऊ शक्ति और गुणवता मे नकारात्मक परिवर्तन हुए और अनाज की पैदावार में दोष आने लगे जिसके कारण जन जीवन पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगे। अभी समय है कि हम रासायनिक खादो से बचे और जैविक खेती की तरफ मुडे़।