उम्मीदों के सपनों को लगी सियासत की हवा : सेंट्रल यूनिवर्सिटी को हटाने का बढ़ता दबाव

उम्मीदों के सपनों को सियासत की हवा लग गयी।

शिक्षा के सौदागरो पे करके भरोसा ना जाने कैसी खता हो गयी।

अब कौन रोकेगा प्रवाह धाराओ की,

ये सोच कर हर गरीब नौजवां की दशा खराब हो गयी

 

देहरादून। शिक्षा के क्षेत्र में एतिहासिक बदलाव लाने के निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए सरकार की नीतियां अब खोखली साबित होती दिखाई दे रही है । लम्बा समय हो गया है, प्रदेश में शिक्षा की नीतियों के बढ़ते प्रवाह को अब कौन रोक पाएगा ये मसला हल करना का वक्त है पर आगे बढ़ने का हौसला कम होता दिखाई दे रहा है।

अगर ऐसा हो गया तो सोचिये प्रदेश के गरीब मेधावी छात्र- छात्राओं के भविष्य का क्या होगा ? सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नाम से एचएनबी को हटाकर श्रीदेव यूनिवर्सिटी के सहारे गरीब मेधावी छात्रों को शिक्षा ग्रहण किये जाने पर मजबूर किया जा रहा है।

उत्तराखंड शासन के उपसचिव ब्योमकेश दूबे ने उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के ख्याति प्राप्त डीएवी पीजी कॉलेज, डीबीएस कॉलेज महादेवी महिला पीजी कॉलेज सहित आठ राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को 31 मई तक स्वैच्छिक रूप से हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से असंबद्ध होकर , राज्य स्तरीय श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के निर्देश दिए हैं। संबद्धता न लेने वाले महाविद्यालयों को वेतन के रूप में मिलने वाले राजकीय अनुदान को शैक्षिक सत्र 2024-25 से बंद करने की चेतावनी दी गई है ।
जबकि, उच्च न्यायालय नैनीताल ने इन सभी अशासकीय महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य करार करते हुए स्थगनादेश भी दिया है। वर्तमान में यह मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन है, जिसपर 12 जून को सुनवाई होनी है।
भारतीय जनता पार्टी नेता विवेकानंद खंडूड़ी ने उत्तराखंड शासन के उपसचिव के श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से स्वैच्छिक संबद्धता लेने के निर्देश को उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शासन का यह आदेश, उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को केन्द्रीय स्तरीय उच्च शिक्षा से वंचित कर राज्य स्तरीय शिक्षा तक सीमित करने वाला साबित होगा।
भारतीय जनता पार्टी नेता एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गढ़वाल मंडल के आठ राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता जारी रखने हेतु पत्र प्रेषित किया है।
प्रेषित पत्र में अवगत कराया गया है कि, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से असंबद्धता के आदेश, के विरुद्ध प्रभावित महाविद्यालयों ने उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य करार दिया है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 4 (f) के प्रावधानों के अंतर्गत सम्मिलित राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर पर संबद्धता का निर्णय नहीं लिया जा सकता है। खण्डपीठ ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के निर्णय पर पर रोक लगा दी थी।

 

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