कल्पनाओं के कैनवस से बनाई तस्वीर उम्मीदों को ना कर पाई साकार 

0

देहरादून । लम्बे संघर्षो की गाथा का कोई नहीं कर सकता है मूल्यांकन । स्वराज्य आंदोलन का इतिहास भले ही जज्बो व हौसलों के दम पर अंजाम तक पहुंच पाया हो परन्तु राज्य निर्माण का मकसद तमाम उम्मीदों पर पानी फेर गया । आज हर आंदोलंकारी की आह पुराने संघर्षो को याद करके अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है।

आज मुख्यमंत्री धामी राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखण्ड को आंदोलनकारियों के सपनो का राज्य बनाने की बात कह रहे थे तब हर किसी के मन में यह सवाल रहा था कि आखिर कब? 23 सालों में उत्तराखण्ड को आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य क्यों नहीं बनाया जा सका। राज्य गठन को 23 साल हो चुके है उत्तराखण्ड की सरकारें अभी तक मुजफ्फरनगर गोलीकांड के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं दिला सकी है। राज्य गठन के बाद राज्य में जिस तरह से भूमि घोटाले हुए और जमीनों की लूट खसोट हुई उसे रोकने के लिए राज्य की सरकारें आज तक एक ऐसा सशक्त भू कानून तो ला नहीं सकी जैसा हिमाचल में है। राज्य बनने के बाद राज्य के लोग रोजगार मिलने की उम्मीद लगाये बैठे थे जिससे उन्हे रोजगार के लिए अपना घर बार छोड़कर पलायन न करना पड़े लेकिन राज्य की सरकारी नौकरियों की लूटपाट को रोकने के इंतजाम तक कोई सरकार नहीं कर सकी। जिन संस्थाओं पर निष्पक्ष भर्तियों की जिम्मेदारी थी वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गयी।
अब तक की सरकारों ने पहाड़ के विकास के लिए न कोई अलग से नीति बनायी है और न हिमालय के विकास के लिए कोई अलग प्राधिकरण बनाया है। तथा न पर्यावरण सुरक्षा की कोई नीति। नतीजन पूरा पहाड़ भू धसाव और भूस्खनल की मार झेल रहा है। राज्य गठन के बाद जंगल और पेड़ो का जिस तरह से अवैध और अंधाधूंध कटान हुआ है और हो रहा है उसने उत्तराखण्ड को कंक्रीट का जंगल में तब्दील कर दिया है। पर्यावरण नीति के अभाव में राज्य का पर्यावरण तेजी से बिगड़ रहा हैै। स्वरोजगार की कोई नीति नहीं है तथा पहाड़ पर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं इस कदर बदहाल है कि अभी भी लोग गांवों को छोड़कर शहरों और मैदान की ओर भाग रहे है। गांव निर्जन हो रहे है तो स्कूलों में ताले पड़ते जा रहे है। बंदर और सुअरों से कृषि की सुरक्षा नहीं हो पा रही है और वन्य जीवों के हमलों से आम आदमी की जान पर बनी हुई है। राज्य में छोटी प्रशासनिक इकाईयों का सपना अभी भी सपना ही बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed